गिरगिट सा रंग बदलने लगा है कोई,
हाथ मिला कर मुकर जाता है कोई
दोस्ती मे हमारी नहीं है ऐसी फितरत
हर बार दोस्ती मे गद्दारी करता है कोई
ये मत सोच लेना की कोरोना वायरस
बनाकर तुमने दुनियाँ मे धाक जमाई है !
अभी तक तुमको मिला नहीं बाप कोई
अभी तो तुम्हारी वो सज़ा भी बाकी है !
बच्चो से खिलोने के मुखोटे लगाकर
अब हमको आँखे दिखने लगा है कोई,
ये छोटी छोटी आँखें निकाल कर तुम्हारी
फिर बच्चों के संग गोटिया खेलेगा कोई
हम पर जूनून है शहादत का बदला
हमारे इरादे नहीं बदल सकता है कोई
कर लो तुम मनमानी अपनी जब तक
तुम्हारे मुँह मे फौलाद भर देगा कोई
मुद्दा सरहद नहीं है,तुम्हारे दिमाग मे
तुम्हारी जमीं आकर तुम्हे लताडेगा कोई
माफ़ी मांग लो अभी भी तुम हमसे वर्ना,
तुम्हे घर तक मार मार के ले जायेगा कोई
भारत का सीना है विशाल लोहे सा मज़बूत
अब तुम्हारे सीने पर लोहे के चने दलेगा कोई
अक्कल ठिकाने लगाकर तुम्हारी चीनियों,
अब घर मे घुस कर तुमको मारेगा कोई !
मुश्किल है हमसे लोहा लेना, याद रखो,
अब फिर तुम्हारा ठिकाना उजाड़ेगा कोई
अभी भी करना है तो 1962 याद कर लो,
फिर झंडा लगेगा चीन के हर शहर मे हमारा
बिलों से खोद खोद कर तुमको मरेगा कोई
बचना है तो अभी ढूंढ लो दूसरा रास्ता,
वरना दौड़ा दौड़ा के तुमको मारेगा कोई
भारत जय था और हमेशा जय रहेगा !
हमारी अस्मत न छू सकेगा शैतान कोई
क्या मजाल कोई फेरे बुरी नज़र हम पर
छटी का दूध तुमको याद दिलाएगा कोई !
फिर ये इतिहास के पन्नों पढेगा कोई
हम जिन्दा दिल थे और हमेशा रहेंगे !
अपनी करगुज़ारी पर पछताना ना तुम
जनता को बेगुनाह बता कर न रोना तुम
जब तुमको नानी याद दिलाएगा कोई !.
परमाणु हथियार रखने से कुछ नहीं होगा
चीन पर ब्रह्मस्त्र मिसाइल दागेगा कोई
तुम्हारी चलाकियों का पता हमको सब है
तुम्हारी धरती पर मौत का तांडव करेगा कोई !
ये मत सोचना की कमज़ोर है भारत आज भी
तुम्हें तुम्हारी ज़मीं पर कब्रें खोद डालेगा कोई,
सोच लो अभी वक़्त है तुम्हारे पास सोचने का
चीन को नक़्शे मे खोजेगा फिर इतिहास कोई !
लेखक मार्टिन उमेद दुआ