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दिल्लीे का दर्द आइए मिलकर बाँट लें

डॉक्टर सुधीर सिंह दिल्ली का दर्द आइए मिलकर बाँट लें,शांति के लिए वहां  सब सत्प्रयास करें.दंगों का दर्द फिर कभी नहीं उभरे यहां,प्रत्येक हिंदुस्तानीआज दृढ़-संकल्प लें.सनेेह-सहयोग,सद्भावना और क्ष्रद्धा से;अमन-चैन, शांति का प्रादुर्भाव होता है.भाईचारे का भावआमलोगों में आने से,घर-बाहर सर्वत्र प्रेमपुष्प खिल जाता है.प्रेम और प्रेरणा में  दिव्य शक्ति होती है,भेदभाव वह कभी अंकुरने नहीं…

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दिल्ली का दर्द , इस्लामिक धरना, आतंक और भय

दिल्ली के शाहीन बाग में दिल्ली के कौम  ने दंगाई सपोलो को दूध पिलाया और आज  उन्हीं सपोलो ने जहरीले सांप के रूप में  दिल्लीवालो को उन्हीं के घर में डसना शुरू किया है ।   ताहिर हुसैन , शर्जिल इस्लाम अमांतुल्लाह जैसे साप लोगो को डस रहे  , जहर से जल रही दिल्ली । कौम…

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डोभाल ने हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौरा किया

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में हो रही हिंसा को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने मंगलवार रात पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक के साथ उन इलाकों का दौरा किया, जहां पर हिंसा भड़की थी. अजित डोवल सबसे पहले पुलिस कमिश्नर के साथ नॉर्थ ईस्ट जिले के डीसीपी ऑफिस पहुंचे. यहां पुलिस के अन्य…

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दिल्ली हिंसा के दोषियों कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए : कांग्रेस

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राजधानी दिल्ली में बेहिसाब और अंधाधुंध हिंसा, आगजनी, पत्थरराव और हत्या की घटनाओं ने देश का सीना छलनी कर दिया है। इस वक्त भी दिल्ली के कई हिस्सों में हिंसा का तांडव चल रहा है जो किसी…

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लव आजकल

कविता मल्होत्रा (स्तंभकार उत्कर्ष मेल) यदि किसी बच्चे को जन्म के तुरँत बाद केवल ऊपरी ख़ुराक पर किसी हिंसक व्यक्ति के सान्निध्य में पाला जाए तो उसका व्यक्तित्व कैसा होगा?  बिन माँ के बच्चे जैसा ही होगा ना?  लेकिन हम सब तो भारत माता के बच्चे हैं फिर हमारे वजूदों में इतनी व्याधियाँ कहाँ से…

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रँग भेद (एक कथालेख)

गाँ।व की पगडंडी-उस पर चलती हुई मैं।दूर एक पतली सी नदी बहती है जो पथरीली जमीन से होती हुई एक मैदान में पहुँचती है ।जलधारा कभी बहुत पतली हो जाती है और वर्षा का सहारा ले कभी कुछ चौड़ी और छोटी छोटी तरंगों से युक्त भी।अचानक ही इच्छा हुई उस नदी को देखने की।बच्चों को…

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अनुभव

वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सविता चडढा की कलम से उनका नाम डी डी त्रिपाठी अर्थात धर्म ध्वज त्रिपाठी था। वे रायबरेली के विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे । पता नहीं कहीं उन्होंने मेरी एक  कहानी किसी पत्रिका में पढ़ी थी और उन्होंने उस पर प्रतिक्रिया स्वरुप अपना पत्र मुझे लिखा था । कहानी उन्हें पसंद आई थी…

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विश्व रेडियो दिवस पर विशेष

यशपाल सिंह रेडियो दिवस के इस अवसर पर जब मैं पिछले 50-55 साल का रेडियो का इतिहास याद करता हूं तो बचपन से लेकर आज तक रेडियो के कई दौर याद आते हैं । गांव की चौपाल में रखा एक बड़ा सा रेडियो, हाथ हाथ में घूमता ट्रांजिस्टर, विविध भारती और बिनाका गीतमाला, अमीन सयानी,…

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भाजपा को अब संजीवनी की जरूरत !

भाजपा ने जहां – जहां रिक्त स्थान छोड़ा वहा – वहा उसे मुंह की खानी पड़ी । एक – एक करके सात राज्य हाथ से निकल गए , कारण सिर्फ एक था कि इनके पास उन जगहों पर कोई योग्य  कद्दावर नेता नहीं मिला जिसे विधानसभा दल का नेता घोषित करके चुनाव  लड़ा जाय, जिसे…

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सुख

        घर के बाहर बारिश की झड़ी लगी हुई थी और अन्दर सीमा और रमेश चाय के साथ पकौड़े खाने का आनंद ले रहे थे । बारिश में ज्यादातर लोग चाय पकौड़े का आनंद लेते हैं। बातें करते करते सीमा को अपना बचपन याद आने लगा । कैसे वह बारिश में बाहर भाग जाती थी…

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