इतनी वेदना
इतनी बेबसी
इतनी लाचारी
के बाद थोड़ी सी जगने
लगी थी
देख कम होते तेज़ी से बढ़ रहे आँकड़े,
अस्पताल की कम हुई मारामारी
ऑक्सीजन की किल्लत से राहत
मौत में भी कमी
इस तरह टूटती उम्मीदों की उम्मीद लगी थी बंधने
अब सुधर जाएंगे हालात
पर मानो हालात ने फिर दी चोट बनके चक्रवाती तूफान जिसने मचाई तबाही ऐसी
कोई जान से गया तो कोई घर से बेघर
बार्ज पी 305 का दुःखद हादसा लहरों के बीच ज़िन्दगी और मौत की जंग
ऊपर से ब्लैक फंगस ने आ कर लिया दबोच
जो हो रहा घातक कोरोना से भी ज़्यादा
अब इस कहर में वाइट फंगस
और तूफान यास भी हो गया है शामिल
एक के बाद एक कहर
एक के बाद एक दर्द
एक के बाद एक कोहराम
एक के बाद एक बेबसी
….कैसे बंधे आस कोई
या टूटती उम्मीदों की उम्मीद कोई।।
….मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा