दीप पर्व पर, एक काम यह
करना सब हर हाल में।
उनके नाम भी दीप जलाना
जो बुझे कोरोनाकाल में।।
स्वस्थ सुरक्षित रहे सभी जन,
इसके हित बस काम किये।
सभी चिकित्सक जुटे रहे
बस नाममात्र आराम किये।
और चिकित्सा करते करते
जो जीवन हो गये बलिदान।
दीपक उनके निमित्त जलाकर
दे हम सब उनको सम्मान।
जो भी जीवन दीप बुझ गये,
सबकी ही देखभाल में।।
रहे सुरक्षित सभी नागरिक,
प्रशासन ने किया प्रयास।
दूध,दवाई,सब्जी आदि,
घर बैठे पहुंचायी पास।।
आवश्यक सेवाएं सुचारू
रखी जिन्होंने भी जारी।
उनके प्रति कृतज्ञ भाव रख
दर्शाते हम आभारी।।
सभी सुविधाएं दी हमको,
स्वयं रहे जिस हाल में।
भूख प्यास बेबसी,भी जिन
कदमों को रोक नहीं पायी।
अपने घर की चाहत जिनको
वापस घर तक ले आयी।
उनका भी स्मरण जरुरी
जो वक्त के हाथों छले गए।
पैदल निकल पड़े थे घर को,
चलते चलते चले गए।
बेनामी जो पंछी उड़ गये,
रहे न तन के जाल में।
** डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’
धामपुर उत्तर प्रदेश