सताते हो कभी मृदुल-मनुहार करते हो-
दीवाने हो दीवाने सा व्यवहार करते हो..
नज़रिया कातिलाना अदाएं हैं निराली-
अपनी बातों से दिल पर प्रहार करते हो..
लड़ते-झगड़ते हो पर साथ मेरा देते हो-
लगे हरकतों से जैसे मुझे प्यार करते हो..
तेरी शरारत और चाहत मुझको भाती-
मन पर जवां इश्क के आसार करते हो..
तेरी बाहों में मैं सब कुछ भूल जाती हूँ-
हाँ ख़ुशनुमा तुम ही मेरा संसार करते हो..
अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ