गुरु का ज्ञान ही आदमी का जीवन-पथ,
सदा प्रकाशित व प्रशस्त करता रहता है.
स्वयं से यहां जब हारने लगता है इंसान,
शीघ्र पूज्य गुरुजी का आह्वान करता है.
गम का अंधेरा हो या दुख का पहाड़ हो,
गुरु की ज्ञान-ज्योति सब दूर कर देता है.
गुरू के प्रति सिर्फ क्ष्रद्धाऔर समर्पण हो,
ब्रह्मस्वरूप गुरुवर हाथ पकड़ चलाता है.
अपनी गुरूभक्ति पर जिसको विश्वास हो,
वही शिष्य गुरूवर का शुभाशीष पाता है.
दुनिया में जिन्हें भी जितना सम्मान मिला,
सबके सिर पर गुरूजनों का हाथ रहता है.
गुरू पुर्णिमा के इस पावन सुअवसर पर,
सब पूज्य गुरूजी का कोटि-कोटि नमन है.
जीवन में जब कभी अहंकार अंकुरने लगे,
उसका दमन हो, उसके लिये गुरु-वंदन है.
डॉक्टर सुधीर सिंह