रत्नों में से एक रत्न है
मेरा प्यारा भैया
निष्काम भाव से करता रहे सेवा वो
ओ मेरे कृष्ण कन्हैया
बहनों के प्यार को ,माला में पिरोकर
सुंदर माला बनाई
जिसकी रक्षा करता है हरपल
मेरा प्यारा भाई
सभी के लिए मीठी मुस्कान
उनके चेहरे पर रहती
इतने सरल हृदय हैं वो
पावन गंगा बहती
हर त्योहार पर उत्सव मनाते
जैसे भीगे सावन
बहनें लेती मिलकर बलैयां
रिश्ता है ये पावन
जब आए मुश्किलों की धूप
देना अपनी छईयाँ
हाथ पकड़ कर ओ सांवरे
थामना उनकी बइयाँ
जमीं पर रहकर आसमां छू लूंँ
है उनकी इतनी चाह
अपने स्वपन को पूरा करें वो
देना ऐसी राह
भक्ति के मार्ग को अपनाकर
सदमार्ग पर चलें
ऐसी हमारी कामना
दिन प्रतिदिन आगे बढ़ें।। * *संगीता अग्रवाल