मैयत के मेरे फूल खिल उठे हैं अब
थोड़ा पहले आते आधा जल चुके हैं अब
तुमने कहा था कि जा रहे हो अपने रास्ते
तो हम भी अपने रास्ते निकल चुके हैं अब
कई लम्हे पत्थरो से बात करता रहा
मगर कई पत्थर पिघल चुके हैं अब
आज फिर मेरी उनसे बात हुई
लगा जैसे कई दिल गल चुके है अब
नाम- अवलोक “अवी”
कछौना(हरदोई)यू.पी.