ब्रह्म लेता जहां पर अवतार है।
देवगण भी सदा गाते हैं जिसका गीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
मर्यादा सिखाते जहां राम हैं।
हैं चुराते जहां कृष्ण नवनीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
पूजते हैं जहां वृक्ष नदियों को भी।
आदि शक्ति का मिलकर गाते हैं गीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
है तपस्या कठिन इस देश की।
जिससे होते सदा इन्द्र भी भयभीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
देश रक्षार्थ प्राणाहुति देते सदा।
हैं सहते हुए आतप,वर्षा,शीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
है नमन उन सभी महावीरों को।
जो देश,धर्म,संस्कृति के हैं मीत।
यह मेरा देश भारत है पावन पुनीत।।
आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक”
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज उत्तर प्रदेश।