यह रोशनी
जिसे तुम अंधेरे के खिलाफ
‘जागृति’
कह रहे हो
वक्त के पिछडेपन को
दूर करने की रीत है
भीतर का अंधेरा
अभी डरा रहा है
रह-रहकर उजाले मे
उभरती परछाइयां …
खुली हुई लाशे बन जाती हैं
गाती गांधी का गीत हैं
देखो,
सूरज का अंधेरा
कितना घना है
यहां , सच बोलना
सख्त मना है|
डॉक्टर राहुल