दूर से ही करबद्ध प्रणाम करें
जिम्मेदार बने
केवल घर परिवार के लिए ही नहीं
जिसको जहां आवश्यकता है
सहयोग करें समाज और
देश के साथ खड़े होकर
इंसानियत का फर्ज़ निभाए
” कोरोना” नाम की महामारी को
आस पास ना और बढ़ाए
डरना नहीं समझना है जरूरी
घर में रहना ना बाहर जाना
सावधानी , स्वच्छता का है
पाठ पढ़ना और पढ़ाना
हाथो को धोना , चहेरा ढकना
गली चौबारे नजर ना आना
आशाओं के दीप जला
निराशा की बातें नहीं बढ़ाना
सुना है सब्र का फल मीठा होता है
आओ दूर से ही एक दूसरे का
समय है सतर्क रहने का
संयम संकल्प से इसे निभाए
टूटे सपनों की किरचें
चुभती हैं आँखों में आओ
उन किरचों को जोड़
भविष्य की सुंदर तस्वीर बनाएं ।
मंगला रस्तौगी
दिल्ली ।