हे शिव शम्भू नमः शिवाय् ,
जगपालक जगत विधाता ।
दुर्गापति जय जनक गणेश के,
स्कन्द पिता जय नमः शिवाय् ।
वैद्यनाथ, संहारक दुर्जन के तुम,
हे केदारनाथ जय नमः शिवाय् ।
त्रिपुरारी शंकर गंगाधर प्रभु जी ,
जय त्रिनेत्र ओउम् नमःशिवाय् ।
हे भोले भंडारी जगपति स्वामी,
विश्वविधाता शिव नमः शिवाय्।
दुर्जन मर्दन करने वाले प्रभु जी,
आओ अब तो जग में हे शिव ।
देखो जग में दुर्जन की बाढ़ है आई,
हे शशिशेखर हो अब तो सहायी ।
भोले बाबा देखो जरा दुनिया को ,
आओ छोड़ कैलाश जगत मेंअब ।
कैलाशपति जरा जग को निहारो,
कैसी दशा देखो ना त्रिपुरारि प्रभु ।
माँ दुर्गे को साथ ले आना शिव जी,
गणेश स्कन्द की भी भारी जरुरत ।
कुछ दिन छोड़ो केदार भी जाना ,
वैद्यनाथ अब जगत की सुधि लो ।
बड़े बड़े राक्षस संहारे प्रभु तुमने ,
अब देखो नये राक्षस हैं पनपे ।
अब देखो जरा झांक जगत को ,
दौड़े दौड़े आओगे खुद शिव शम्भू ।
सुन लो पुकार ओउम् नमः शिवाय्,
मत देर करो अब भई देर बहुत है ।
करुणानिधि करुना के सागर प्रभु ,
करो जग पे दया हे शिवशम्भू ।
ले त्रिशूल निज शक्ति दिखा दो ,
दुर्जन को जग से दूर भगाओ।
डॉ. सरला सिंह