जिंदगी हर दिन एक जंग सी लगती है,
कभी पहलू में मेरे तो , कभी तेरे लगती है,
कभी पास आके बैठ, तो बताए हमे कितनी बेरहम लगती है,
हर दिन ये मुझसे मेरे ही जवाबो पे एक नया सवाल पूछती है,
की तू तो कभी न झुकने वाली थी,!!!
क्या ….हार गई आज की कहानी से???
मैने भी हस के कह दिया, ना हारी हु… और ना हारूंगी, …
बस अब ऊबा देती है ये, तेरी रोज की बचकानी गाथाएं,
है दम तो कुछ मजेदार पटकथा दिखा,
रोमांच से भरा कोई नया नाट्य तो लेके आ,
ज़रा रूबरू तो आ, तो मैं महसूस करु और फिर कहूं…..
जिंदगी तू तो सच में एक जंग सी लगती है……
मुस्कुरा के फरमाया , जिंदगी ने कुछ इस तरह से….
शेरनी है तू मेरी, जो कोई जंग हारती नही ,
शेरनी बनाए रखने के लिए ही तुझे….
जिंदगी हर दिन एक जंग सी लगती है।।।
कवियत्री – शीबू डोबरियाल