चंदा मामा दूर के और पुआ पकाये गुड़ के,
आप खाये थाली में नूनू को दिए प्याली में।
बच्चे को सुलाने के लिए मैया लोरी गाती है,
गजब की मिठास है सरस संगीत लहरी में।
लोरी का मधुर स्वर जब भी मुन्ना सुनता है,
मैया की गोदी में वह तुरंत ही सो जाता है।
सो जाने पर भी जननी सदा सजग रहती है,
पास में माँ लेटी रहती जबतक वह सोता है।
ममता के आँचल में है स्वर्ग से ज्यादा सुख,
जिसका आनंद लेने राम-कृष्ण भी आते हैं।
स्वार्थान्ध लोगों की सोच विकृत हो जाने से,
नए विचार के लोग माँ को ही भूल जाते हैं।
माता-पिता हो या हो कोई भी बूढ़ा-बुजुर्ग,
सेवाऔर सहानुभुति सबों को यहां चाहिए।
सब बड़े-बुजुर्गों के स्नेह,सहयोग त्याग का,
आदमी को आजीवन कृतज्ञ रहना चाहिए।
डॉक्टर सुधीर सिंह