आसमान से ऊंचे कद का भारत मां का गौरव
शीशे पे जिसके कश्मीर और दिल में सुन्दर वैभव
जनजन के होठों पे खिलती वीरो की गाथा हो
कदमों में गंगा हो – लहराता तिरंगा हो
पाँच तत्व से बन जाती है इसकी शौर्य कहानी
अग्नि जल पृथ्वी आकाश और हवा अभिमानी
भगत सुभाष गांधी के संग लक्ष्मी की गाथा हो
कदमों में गंगा हो – लहराता तिरंगा हो
नन्हें नन्हें फूलो से सज उठता देश हमारा
अमर शहीदो के शव पर बहती अश्रु धारा
जटाजूट से निकली धरा पे अमृत धारा हो
कदमों में गंगा हो – लहराता तिरंगा हो
बढ जाता है मान देश का वीरो की कुर्बानी से
सरहद पर मर मिटने वाले जाँबाज सिपाही से
तोड चुडियाँ माँग पौछती दुल्हन की जवानी हो
-कदमों में गंगा हो – लहराता तिरंगा हो
आग जलाती जल बरसाती धरती की प्यास पुरानी
प्रेम प्यार के भाव जगाती ठण्डी पवन मस्तानी
ऊँचे अंबर पर लहराती तारों की चुनर हो
कदमों में गंगा हो – लहराता तिरंगा हो
डॉ अलका अरोडा
प्रोफेसर – देहरादून