नवीन वर्ष
घी, शकर, चूरमा
मां का आंगन
उन्मन मन
ठिठुरता बदन
ठंडा है चूल्हा
सिकुड़ती मां
आंचल में संतान
स्नेह उड़ेले
बीता बरस
खोजता प्रतिपल
खुशी के पल
देव समाज
प्यार भरा आंगन
भरे उमंग
नवीन वर्ष
विद्यालयों का द्वार
न रहे बंद
बांह पसारे
करो शुभ-आरंभ
नवीन वर्ष… 2022
डॉ. नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘