हिन्दी का परचम लहराएं!
नागरी लिपि का मान बढ़ाएं!!
हम हिन्दी दिवस- मनाते हैं भारत में प्रतिवर्ष,
उत्साहित-उल्लसित हो कहते हिन्दी है निज भाषा,
यही एकता सूत्र , यही है राष्ट्रीयता की पहचान,
करें इसे मजबूत, इसी से होगा सबका उत्कर्ष,
हम सब का कर्तव्य यही कि राष्ट्र- भाव से भरकर
एक राग से गाएं– हिन्दी का परचम लहराएं!
नागरी लिपि का मान बढाएं!!
हम भारतवासियों की नाड़ियों में है हिन्दी बहती
हमें अपनी राष्ट्रभाषा पर है गर्व, सम्मान करो तुम
कलम उठाओ और आज से ही हिन्दी में लिखो
कर लो दृढ़ संकल्प : सभी भाषाओं में यह है सर्वोत्तम
नमन करो अपनी भाषा को-जयहिन्दी!जय हिन्दुस्तान!
ज्ञान- मंजरी शान– हिन्दी का परचम लहराएं!
नागरी लिपि का मान बढ़ाएं!!
मगर जरा तुम देखो अपनी भाषा- नीति क्या कहती,
संविधान में अधिकृत है यह,लिपि समर्थ, वैज्ञानिक भी,
किन्तु मिला न मान आजतक,चेरी जैसा होता व्यवहार
अंग्रेजी ऊपर है, यह कैसा सुष्ठु-समन्वित तर्क- विधान
तो मंहके फिर से चमन हमारा, सब होवें हिन्दीमय
आंखों में नव चाह लिए – हिन्दी का परचम लहराएं!
नागरी लिपि का मान बढ़ाएं!!
भारत माता के माथे की बिन्दी है अपनी हिन्दी
खेतों-खलिहानों में भी होवे निज हिन्दी का वातायन
आजादी का मना रहे हम गर्वित हो ‘अमृत महोत्सव’
चारोंओर गूंज रहा है गान– हिन्दी- हिन्दी- हिन्दी
जन – गण- मन के अधिनायक, नवभारत के निर्माता
देवनागरी लिपि में — हिन्दी का परचम लहराएं!
नागरी लिपि का मान बढ़ाएं!!
संस्कृति की शुचिगौरव -गाथा दुहराए फिर से दुनिया,
नवशिक्षा का उजियारा फैले हर दिशा- दिशा में,
अंग्रेजी का आवरण हटा जब झांकेंगे अपने अन्दर,
उत्तुंग- शिखर से गूंजेगी वाणी — ‘हम हिन्दी हैं’
नदियां भी दोहराएंगी नागरी लिपि का चिर इतिहास,
पवनदूत बन बोलेगा- हिन्दी का परचम लहराए!
नागरी लिपि का मान बढ़ाएं!!
डॉ.राहुल
विकासपुरी, नयी दिल्ली-18