हे गुरुदेव! प्रथम वंदन आपको
साक्षात दण्डवत प्रणाम ,
बिना गुरु के ज्ञान अधूरा ,
फिर -फिर गोता खाय,
गुरु मंत्र को आत्मसात कर ,
भव सागर पार कर जाय।
गुरुदेव मानव को नवजीवन देते ,
गुरुदेव मानव का तिमिर मिटाते,
गुरुदेव मानव को प्रकाशवान बनाते ,
गुरुदेव हृदय में ज्ञान दीप जलाते,
गुरुदेव ही मानव का कल्याण करते,
हे गुरुदेव! साक्षात दण्डवत प्रणाम।
गुरुदेव है दया-प्रेम-करुणा के सागर ,
गुरुदेव से ही मिलता मुक्ति का द्वार,
गुरुदेव चरणों में नित वंदन करिए,
गुरुदेव का नित सिमरण करिए,
हो जाए जीवन का कल्याण,
हे गुरुदेव! साक्षात दण्डवत प्रणाम।