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सविता चड्ढा द्वारा लिखी पुस्तक”हिंदी पत्रकारिता भूमिका और समीक्षा” का लोकार्पण और उनकी कहानियों पर चर्चा संपन्न

“हिंदी पत्रकारिता भूमिका एवं समीक्षा’ का लोकार्पण पंजाब केसरी की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा,श्री अनिल जोशी, श्री ऋषि कुमार शर्मा ,डाॅ. मुक्ता, ओमप्रकाश प्रजापति एवं मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी के कर कमलों से संपन्न हुआ। लेखिका सविता चड्ढा ने उपस्थित सभी माननीय अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करते हुए कहा कि उनका लेखन अपने पाठकों और शुभचिंतकों शुभकामनाओं और आशीर्वाद से ही संभव हो पता है । उन्होंने अपने प्रकाशकों का भी आभार व्यक्त किया सदैव उनकी पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए तत्पर रहते हैं।

पंजाब केसरी की चेयरपर्सन और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की संस्थापिका ने लेखिका के लेखन की भरपूर सराहना की। उनके द्वारा लिखी गई साहित्य के विभिन्न विधाओं की पुस्तकों का उल्लेख करते हुए आज लोकार्पित हिंदी पत्रकारिता भूमिका और समीक्षा पुस्तक की विशेष रूप से सराहना की।
श्री अनिल जोशी ने भी इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं लेखिका को देते हुए उनके बहुआयामी व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए उनके द्वारा लिखी गई विभिन्न कृतियों की चर्चा की और उनके साहित्यिक सफर का उल्लेख करते हुए उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की ।

हिंदी अकादमी के उप सचिव श्री ऋषि कुमार शर्मा ने कहा “
सविता चड्ढा जी ने विभिन्न विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है। इनका कहानी संग्रह “नारी अंतर्वेदना की कहानियाँ ” में एक सशक्त नारी का आधुनिक रूप निखर कर आया है। ये कहानियाँ कालजयी है जो समाज की समस्या के ऊपर दृष्टिपात करके उनका समाधान भी देती हुई चलती है । समाज, परिवार और पाठकों के द्वारा इन कहानियों का पढ़ा जाना आवश्यक है। ये कहानियाँ हिंदी साहित्य की धरोहर हैं। इस संग्रह की कुछ कहानियाँ मेरी साहित्य की समझ का विकास करती हैं।”
इस अवसर पर डॉक्टर मुक्ता, डाॅ, ओमप्रकाश प्रजापति, श्री मनमोहन शर्मा जी ने लेखिका के साहित्यिक सफर का उल्लेख करते हुए उनकी प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों का उल्लेख किया और आज की पुस्तक “हिंदी पत्रकारिता: भूमिका और समीक्षा” को पत्रकारों के लिए और लेखकों के लिए बहुत उपयोगी बताया ।

” नारी अस्मिता व अंतरवेदना की कहानियां” संग्रह पर चर्चा के प्रारंभ में मंच संचालन करते हुए डॉ. कल्पना पांडेय ‘नवग्रह’ ने कहा ” सविता चड्ढा की कहानियाँ नारी सशक्तिकरण के लिए अंतरात्मा से उठी हुई वो आवाज़ है जो न केवल एक दूरदृष्टि देती है बल्कि संवेदनाओं के तार भी झंकृत करती है। दिशा देती , ख़ुद से पहचान कराती भावपूर्ण कहानियाँ।”
डॉ पुष्पा सिंह बिसेन ने कहा सविता चड्ढा की शख्सियत, व्यक्तित्व और कृतित्व बहुत विशाल है। उन्होंने सभा को सूचित किया कि वह सविता चड्ढा के संपूर्ण व्यक्तित्व पर पर एक खंडकाव्य लिख रही है । इस सुखद सूचना को सुनकर सभी ने कर्तल ध्वनि से उनके निर्णय का स्वागत किया ।
उमंग सरीन ने संग्रह की तीन चार कहानियों का उल्लेख किया । उन्होंने कहानी “बिब्बो”, “दिल्ली में भी है” और “फिलिपिनो” पर अपने विचार प्रकट किये।
“शकुंतला मित्तल ने कहानियों पर बोलते हुए कहा “नारी अन्तर्वेदना की कहानियाँ” वेदना,और पीड़ा को झेलते हुए भी स्वाभिमान रख कर संघर्ष करती उन नारियों की कहानियां हैं,जो संघर्ष में ही समाधान खोज अपना जीवन मार्ग तलाशती हैं।
पात्रों के चरित्र को समझ उसके मनोविज्ञान को गढ़ने में कुशल डॉ सविता चड्डा जी बोल्ड कथ्य को मर्यादित और सधी भाषा में मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति देने में पूर्णतया सक्षम हैं, इसलिए इनका पाठकों पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

इस अवसर पर पुस्तक पर बोलते हुए डॉक्टर कविता मल्होत्रा ने कहा “सविता जी की कहानियां महिला सशक्तिकरण का सकारात्मक पक्ष उजागर करती हैं।सविता जी का कहना है कि यदि महिलाएँ स्वंय अपना आत्म निरीक्षण करना शुरू कर दें तो उनकी हर समस्या का समाधान हो सकता है, क्यूँकि महिलाओं की अस्मिता पर होने वाले सामाजिक प्रहारों को कोई एन. जी. ओ.,कोई प्रशासन या कोई सरकार नहीं रोक सकती, इसलिए सभी महिलाओं को स्वाभिमानी और स्वंयसिद्धा होने का संदेश देती सविता जी की हर कहानी प्रणम्य है।सविता जी को उनकी कृतियों के विमोचन की हार्दिक बधाई।”
श्री अमोद कुमार ने कहा “सविता जी ने जहाँ नारी के भिन्न रिश्तों मे हो रहे उत्पीड़न और उसके अंर्तमन की वेदना को अपनी कहानियों मे उजागर किया है वहीं नारी को संघर्षशील होकर अपने पैरों पर खड़े होकर स्वाभिमान का जीवन जीने की प्रेरणा भी दी है।

डाॅ. शुभ्रा अपनी लिखित एक विस्तृत समीक्षा लेखिका को प्रदान की और कुछ कहानियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने संग्रह की कहानियों को पतठनीय और समाजोप योगी बताया।
शारदा मित्र और आमोद कुमार ने कहानियों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सविता चड्ढा की कहानियों को समाजोपयोगी बताया और इसमें नारी चेतना के विभिन्न स्वरों को प्रस्तुत करते हुए संग्रह की सभी कहानियों व्याख्या प्रस्तुत की ।
श्रीमती सरोज शर्मा, श्रीमती प्रमिला भारती , शारदा मित्तल , डॉ कविता मल्होत्रा , श्री राजेंद्र नटखट,अंजू क्वात्रा, कुमार सुबोध ने लेखिका को अपनी शुभकामनाएं और बधाई दी, वहीं पधारी रंजना मजूमदार ने सविता चड्डा की एक खूबसूरत ग़ज़ल को स्वर देखकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

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