27 जून को संपन्न हुए कलाविपंची के अंतर्राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम मे अनुराधा प्रकाशन परिवार की सदस्य कवयित्री और गायिका प्रियंवदा जी की प्रस्तुति सराहनीय रही l
इस ऑनलाइन म्युज़िक फेस्टिवल मे सिंगापुर, मलेशिया,दोहा, डेनमार्क, श्रीलंका, कतर, स्वीडेन, लंदन, कनाडा और USA के कलाकारों ने संगीत और नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दीं l
आज हम ठुमरी गायिका प्रियंवदा जी से साक्षात्कार के कुछ अंश प्रस्तुत कर इनका परिचय देते हैं l
युवा कवयित्री प्रियम्वदा मिश्रा “मेघवर्णा” का जन्म 21 सितंबर 1988 को वाराणसी मे हुआ,
इनके पिता स्व.पं.सत्य नारायण मिश्र जी बनारस घराने के सुप्रसिद्ध गायक थे , तथा भातखण्डे संगीत महाविद्यालय मे संगीत प्रवक्ता पद पर कार्यरत थे , और माता श्रीमति मीना मिश्रा जी हिन्दी शिक्षिका एवं रेडियो आर्टिस्ट हैं। प्रियम्वदा को माता पिता से लेखन तथा गायन कौशल दोनों ही विरासत मे मिला ,इन्होने अपनी शिक्षा वाराणसी मे ही ग्रहण की है , तथा एम.बी.ए और संगीत प्रवीण की डिग्री प्राप्त की है ,
प्रियम्वदा बाल्यकाल से ही संगीत एवं काव्य मंचों पर सक्रिय रही हैं । इन्होने नव साधना कला केंद्र , भारत विकास परिषद ,संगम कला ग्रुप आदि गायन प्रतियोगिताओं मे प्रथम स्थान प्राप्त किया है , एवं राज्य और राष्ट्र स्तरीय मंचों पर भी गायन प्रस्तुत किया है, वाराणसी रेडियो से तथा स्थानीय टीवी चैनल पर भी इनकी कुछ प्रस्तुतियाँ प्रसारित हुई हैं।
प्रियंवदा जी की रचनाएँ –
मेघवर्णा,वर्तमान सृजन,काव्यामृत्,काव्य कलश,शब्द सागर,दिव्य चेतना,अमृषा,काव्य अमृत 3 ,
इत्यादि पुस्तकों मे प्रकाशित हो चुकी हैं l
वर्तमान मे प्रियम्वदा जी केंद्रीय विद्यालय संगठन मे संगीत शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं , तथा लेखन और गायन मे निरंतर सक्रिय हैं ।
हम इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई प्रेषित करते हैं l