पाक कला स्वयं में एक संपूर्ण विज्ञान है। जिसे समझना स्वस्थ शरीर की इच्छा रखने वालों के लिए नितांत आवश्यक है। भोजन कैसे बनाए से लेकर किस पात्र में बनाएं तक सबकुछ अति आवश्यक है। पुराने समय में भोजन पकाने के लिए तांबे व लोहे के पात्रों का प्रयोग किया जाता था। तथा दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी थे। परन्तु अब इनकी जगह ले ली है एल्यूमीनियम के पात्रों ने । एल्यूमीनियम पात्र देखने में सुन्दर व सफाई में आसान व कीमत में कम होते हैं। परन्तु भोजन के लिए उतने ही नुकसानदायक । इन पात्रों में कुछ भी पकाने से लेकर गर्म भोजन सर्व करना तक नुकसानदायक है क्योंकि इनका एल्यूमिनियम घुलकर भोजन में मिल जाता है। विशेष रूप से अम्लीय, मसाले एवं तरल भोज्य पदार्थ जैसे टमाटर , नींबू , नमक आदि। मानव शरीर द्वारा एल्यूमिनियम की थोड़ी सी मात्रा बहुत ही आसानी से शरीर से निस्तारित कर दी जाती है। वर्ल्ड हैल्थ औरगनाईजेशन द्वारा ” मानव शरीर के लिए शारीरिक भार प्रतिदिन के अनुसार 40 मिग्रा० प्रति किग्रा० एल्यूमिनियम नुकसानदायक नहीं है क्योंकि यह आसानी से निस्तारित किया जा सकता है।” तथा इतनी मात्रा की पूर्ति मक्का, येलो चीज़, नमक, धनिया, ऑरीगेनो पुदिना , चाय, मसाले ऐंटासिड, ऐंटीपर्सपीरेन्ट्स आदि से हो जाती है। पेयजल के शुद्धिकरण के लिए भी एल्यूमिनियम के एक डेरिवेटिव एल्यूमिनियम सल्फेट का प्रयोग किया जाता है।
इन पात्रों में भोजन पकाते समय ऊपर की परत आक्सीकृत हो जाती है । जिससे भोजन में यह नहीं घुल पाता। परन्तु धुलाई के समय यह परत पुन: साफ हो जाती है तथा पुनः यह भोजन मेें घुल जाता है। भोजन द्वारा रक्तप्रवाह में पहुंचकर यह विभिन्न अंगों में एकत्र हो जाता है तथा विभिन्न व्याधियों को जन्म देता है । हाइपर एसिडिटी , पेप्टिक अल्सर , अपच , एग्ज़िमा, डैन्ड्रफ त्वचा सम्बंधित समस्या जैसे पिगमेन्टेशन कोलाइटिस क्रानिक अमीबिक डीसेन्टरी आदि अस्थियों का घनत्व घटाता है जिस कारण ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। एल्यूमिनियम की अधिक मात्रा से मस्तिष्क की कोशिकाओं की वृद्धि की गति काफी कम हो जाती है इसीलिए डिमेंशिया एवं अल्जीमर जैसी बीमारियों का कारण भी यही है।
विकसित देशों में एन्यूमिनियम के स्थान पर नॉन-स्टिक पात्रों का प्रयोग करते है जिसमें एल्यूमिनियम के ऊपर टेफलॉन की परत होती है जोकि एल्यूमिनियम को घुलने नही देती। लेकिन यह एक महंगा उपाय है तथा भारत जैसे विकासशील देश में एक बड़ा तबका इसका उपयोग नही कर पाते इसीलिए एल्यूमिनियम बहुतायत में प्रयोग करते है। उन लोगों के समूह के लिए आवश्यक है कि वो पात्रों को रगड़कर साफ करने की जगह हल्के हाथ से मांजे ताकि आकसीकृत परत संपूर्ण रूप से न हटने पाए।
एल्यूमिनियम फॉइल के प्रयोग को वर्जित करें क्योंकि यह डिस्पोसेबल होती है जिस कारण इसपर ऑक्सीकृत परत अनुपस्थित होती है। तथा यह अत्यंत हानिकारक है। भोजन में संतरे , अन्नास , अंगूर , स्वीट लाइम का ताजा जूस नियमित रूप से शामिल करें।एल्यूमिनियम कैन्स में पैक्ड भोज्य पदार्थ एवं तरल पदार्थ जैसे कोल्ड्रिंक आदि के प्रयोग से बचे। स्टेनलेस स्टील, लोहे, ताबे के पात्रों का भोजन पकाने एवं सर्व करने में प्रयोग करें।
इला सागर रस्तोगी
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
आर्टिकल एवं कन्टेन्ट राइटर/ कवयित्री/ लेखिका/ शोधार्थी/ समाज सेविका