बुधवार को अचानक राहुल गांधी के ट्वीट ने सियासी गलियारे मे हलचल पैदा कर दी । राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के औपचारिक घोषणा ने हालांकि किसी को चौकाया तो नही पर उनके द्वारा ट्वीट किये गए कारणों ने राहुल की जमकर किरकिरी करा दी । लोकसभा चुनाव के बाद से अपने इस्तीफे को लेकर बनी असमंजस की स्थिति और अटकलों पर विराम लगाते हुए राहुल गांधी ने बुधवार को चुनावी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ट्वीट किया । उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की ‘‘भविष्य के विकास” के लिए उनका इस्तीफा देना जरूरी था।हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस मंथन मे लगे हुए है की राहुल गांधी के बाद कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा?मोतीलाल वोरा , अशोक गहलोत , ए के एंटोनी और मनमोहन सिंह इस फेहरिस्त मे सबसे आगे है । राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी में वरिष्ठ नेता हैं। वो सर्वमान्य भी हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और एके एंटनी भी दावेदार कहे जा रहे ।पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने उनकी जगह अध्यक्ष की कुर्सी संभालने की काबिलियत भी रखते है। हालांकि एके एंटनी ने इसे विनम्रता से अस्वीकार कर दिया है। इस संबंध में जब उन्होंने एके एंटनी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उनके मन में गांधी परिवार के लिए बेहद सम्मान है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वह अध्यक्ष का पद संभालने में असमर्थ हैं ।अब बात करते है इतिहास की , जिसमे कांग्रेस के 13 अध्यक्ष गैर गांधी परिवार से रहे, जिनका दूर-दूर तक गांधी परिवार से नाता नहीं रहा। 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 18 अध्यक्ष हुए हैं, जिसमें सिर्फ 5 अध्यक्ष ही गांधी परिवार से रहे, जबकि 13 गैर कांग्रेसी रहे । आजादी के बाद से देखें तो कांग्रेस में 18 अध्यक्ष हुए हैं, जिसमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही गांधी परिवार से अध्यक्ष बने, जबकि 13 अध्यक्षों का नाता गांधी परिवार से नहीं रहा। 1951 से 54 के बीच तक नेहरू प्रधानमंत्री रहने के दौरान पार्टी अध्यक्ष भी रहे। रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ 1959 को छोड़कर 1955 से लेकर 1978 तक कांग्रेस की कमान गैर गांधी व्यक्ति के पास रही। इस दौरान कांग्रेस की ही सत्ता रही। इंदिरा गांधी ने 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बहुमत की सरकार भी गैर गांधी अध्यक्ष के कार्यकाल में बनाई। 1947 के बाद से कांग्रेस कब-कब गांधी परिवार से मुक्त रही? देश आजाद हुआ तो 1947 में जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी मिली थी। उन्हें महात्मा गांधी के भरोसेमंद व्यक्तियों में माना जाता था। इस दौरान कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही। जयपुर कांफ्रेंस की उन्होंने अध्यक्षता की।फिर पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नासिक अधिवेशन की उन्होंने अध्यक्षता की। यह पुरुषोत्तम दास टंडन ही थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा देने की मांग की। 1955 से 1959 तक के दौर मे यूएन ढेबर इस बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की। 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं। 1960 के बाद नीलम संजीव रेड्डी इस दरम्यान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्होंने बंगलूरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. बाद में नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति हुए। 1964 के दौरान इस दौरान भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष हुए. उन्होंने भुबनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की. कहा जाता है कि यह के कामराज ही थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई। 1968 मे एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था ।1970 मे एक वर्ष के लिए बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे। बाद मे 1972 शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला। 1975-77 का वो दौर था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था। आपतकाल के समय कांग्रेस की कमान देवकांत बरुआ को सौंपी गई, तब बरुआ ने नया नारा दिया था। इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा। 1977-78 के दौरान ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया। जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं। वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं। उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1992-96 तक राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी। 1996-98 मे सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने। वह 1996-1998 तक इस पद पर रहे। सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा। इसके बाद 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं। फिर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने।अब देखने वाली बात है की क्या 21वीं सदी मे फिर से कांग्रेस का अध्यक्ष कोई गैर कॉंग्रेसी होगा । और यदि होगा तो क्या वो स्वतन्त्र मानसिकता से काम कर पायेगा । क्या सी डब्लू सी ऐसे व्यक्ति के कार्यो को सर्वमान्य तौर पर बगैर सोनिया प्रियंका और राहुल के हस्तक्षेप के लागू करेगी ! आगे आगे देखिए होता है क्या । ____ पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी 8808113709