रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पर चीन के दावे ने अंतरास्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मचा दिया है। इस कारवाई मे चीन की दिलेरी कम और बेवकूफी ज्यादा नज़र आ रही है।आज के वक़्त में जब दुनिया के सारे बड़े देश चीन के खिलाफ है तथा इस मुश्किल वक़्त में जब चीन को सबसे ज्यादा रूस की जरूरत है, ऐसे हालात में चीन की ये हरकत खुद के पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसी है। अब सवाल ये उठता है की क्या चीन ने रूस को ताइवान समझा है या नेपाल?आये दिन हर अडोशी पड़ोसी देश पर कब्ज़ा करने के लिए चीन अपना दावा कर देता है, फिलहाल ये दावा रूस पर किया गया है और ये दावा इसलिए भी अहम है क्योंकि व्लादिवोस्तोक शहर रूस के रक्षा और व्यापार की दृष्टिकोण से बहुत बड़ा और अहम माना जाता है। रूस के चीन स्थित दूतावास से ये ट्वीट, रूस की 160 वी सलगिरह पर जो व्लादिवोस्तोक को लेकर मनाई जाती है, आया था। ये ट्वीट चीन में रूस के दूतावास के मुखिया ने किया था, इस ट्वीट के कारण चीन में हड़कंप मच गया है और चीन ने अपना दावा व्लादिवोस्तोक शहर पर कर दिया है। चीन की तरफ से चीनी भाषा में किया गया ट्वीट ये कहता है कि जिस तरीके से रूस ने व्लादिवोस्तोक शहर को अपग्रेड किया है, वह बहुत अहम हैऔर ऐसा रूस का पूरी दुनिया के साथ बेहतर समबन्ध बनाने के लिए किया गया है।दरअसल ये बात बिल्कुल सच है की व्लादिवोस्तोक रूस के लिए बहुत अहम शहर है। इसका कारण यह है की रुस का सबसे ज्यादा व्यापार इसी शहर के बन्दरगाह से होता है।व्लादिवोस्तोक शहर की सीमा चीन के साथ साथ नार्थ कोरिया से भी लगती है तथा व्लादिवोस्तोक शहर ने दूसरे विश्व युद्ध मे बहुत अहम भूमिका निभाई थी क्योंकि सोवियत यूनियन ने जो युद्ध लड़े थे वो इसी व्लादिवोस्तोक बंदरगाह के रास्ते ही हथियार आपूर्ति कर के संभव हो पाया था। अब मुद्दा ये है कि चीन के एक संपादक, जो सीजीटीयेन न्यूज़ से जुड़े है, ने टिप्पणी की है जो काफी गंभीर है, इस टिप्प्णी के माध्यम से उन्होंने कहा है कि ये व्लादिवोस्तोक नाम का शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था जिसे रूस ने एकतरफा संधि के तहत चीन से हथिया लिया था तथा इस ट्वीट में ये भी कहा गया है कि व्लादिवोस्तोक शहर को लेके जो रूस में 160 वी सालगिरह मनाई जा रही है वो बिल्कुल तारीफ के योग्य नही है, और हम इसका विरोध करते है।चीनी मीडिया के संपादक ने अपने ट्वीट के जरिये ये भी साफ कर दिया है कि चीन रूस से ये हिस्सा ले कर रहेगा। अब चीनी मीडिया ने इसका प्रोपोगेंडा भी चलाना सुरु कर दिया है और जहां तक ट्वीट की बात है वो काफी ज्यादा वायरल हो चुका है। चीन अब ये सोच रहा है कि रूस पहले जैसा ताकतवर रहा नही अतः रूस के साथ भी कब्ज़े वाली नीति पर काम कर के वालादिवोस्तीक शहर को भी अपने कब्जे में लिया जा सकता है। रूस और चीन के बीच सीमा को लेकर कभी रिश्ते अच्छे नही रहे है , रूस ने हमेसा अपनी हिमाकत दिखाते हुए चीन के काफी हिस्सो पर कब्जा किया है जिसके परिणामस्वरूप चीन ने कई बार रूस का विरोध किया है। ऐसा ही आईएक किस्सा 1969 मे भी देखने को मिला था जब रूस और चीन की सेनाएं आमने सामने आ गयी थी और युद्धविराम को लेकर समझौता करना पड़ा था। हालांकि ये जंग एकतरफा थी जिसमे रुस ने काफी चीनी सैनिक मार गिराए थे। इस जंग में विवाद काफी ज्यादा बढ़ गया था और दोनों देशों की कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी कम्युनिस्ट ताकत का खूब इस्तेमाल किया था। हालांकि दोनों सरकारों ने सैनिकों के मारे जाने की कोई पुष्टि नही की थी क्योंकि दोनों ही देश मे कम्युनिस्ट सरकारें थी। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कम्युनिस्ट सरकारो की ये खास बात होती है कि वो कभी सैनिको के मरने का आंकड़ा उजागर नही करती है क्योंकि उनका मानना होता है कि इससे तनाव बढ़ जाएगा। हालांकि 1969 के युद्ध मे मारे जाने वाले सैनिको का आंकड़ा 200 से 300 तक के करीब था पर दोनों सरकारो ने इस मामलों को ठंडा करने के लिए मृतकों की संख्या उजागर नही की थी। हालांकि इस युद्ध मे चीन ने अपनी बातें मनवा ली थी और 1994 में रूस और चीन के बीच संधि हुई जिसमे रूस ने कहा था कि कुछ हिस्से वो चीन को देगा, इन छोटी मोटी झड़प के कारण रूस ने कुछ हिस्सो को नज़रअंदाज़ कर दिया था और इन हिस्सो पर चीन का कब्ज़ा हो गया था लेकिन इसका कतई ये मतलब नही है कि रुस चीन के आगे झुक गया है, चीन की बहुत सी जमीन पर रूस ने कब्जा कर रखा है और उसी तरह रूस ने व्लादिवोस्तोक शहर पर भी कब्ज़ा किया था हालांकि ये कब्ज़ा रूस ने फ्रांस और ब्रिटेन की मदद से किया था। वैसे देखा जाए तो सीजीटीयेन न्यूज़ का दावा सच्चा है और चीन ने फिर से अपना दावा व्लादिवोस्तोक शहर पर कर दिया है। लेकिन आपके मन मे ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ये दावा चीनी सरकार ने नही बल्कि चीनी मीडिया ने किया है, आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चीन में जितनी भी मीडिया है ये सरकारी मीडिया है और विदेशी नीतियों पर सारी बातें, सरकार का अनुमोदन लेके ही लिखते है क्योंकि चीन में नियम काफी कड़े है। व्लादिवोस्तोक का दावा कर के चीनी सरकार अपने लोगो को ये बताना चाहती है कि व्लादिवोस्तोक चीन का हिस्सा है और चीन, रूस से उसे वापस लेकर रहेगा। ये सब, चीनी सरकार चीन की जनता का धयान भटकाने के लिए कर रही है क्योंकि कोरोना वायरस के कारण चीन में काफी नौकरियां जा चुकी है जिससे वहां की जनता चीन की सरकार से काफी नाराज चल रही है। इसमे कोई दो राय नही है कि चीन की इस हरकत से भारत को फायदा मिलेगा और रूस से भारत के रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी मौके पे चौका मरते हुए पुतिन को 2036 तक के लिए राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। ऐसा करने वाले वो विश्व के पहले नेता है, वहीं पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के सामरिक संबंध और मजबूत होंगे।अब देखना ये होगा कि चीन के द्वारा की गई हरकत पे रूस की क्या प्रतिक्रिया आती है? जिसका भारत को भी बेसब्री से इंतेज़ार हैं।
सोनल सिन्हामुंबई