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हॉन्गकॉन्ग को लेकर भारत ने बदले अपने सुर

चीन अपने पडोसी देशों से रिश्ते बद से बदतर करता जा रहा है, चाहे वह ताइवान हो, जापान हो या कोई और देश,वह  हर किसी से उलझने का साहस करता नजर आ रहा है। अगर हॉन्गकॉन्ग की बात करे तो ये बोलना कतई गलत नही होगा कि चीन ने  वहा लोक-तंत्र की हत्या कर दी है तथा वहा के लोगो का खूब दमन कर रहा है जो बेशक चिंता का विषय है। इस मुद्दे पर कई देश चीन पे सवाल उठाते रहे है पर भारत ने कभी हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के मुद्दे पर नही बोला था क्योंकि भारत चीन से अपने रिश्ते खराब नही करना चाहता था। लेकिन,आज हालात और परिस्थिति काफी अलग  है जिसके परिणामस्वरूप भारत और चीन के रिश्तों में  खटास आ चुकी है। वैसे कई मुद्दों पर मनमुटाव तो पहले से  ही था पर इस बार पानी सर से ऊपर जा चुका है। हाल ही में भारत द्वारा लगाए गए 59 चीनी एप्प्स पे प्रतिबंध ने आग में घी डालने का काम किया है। गलवान घाटी की घटना के बाद तो जैसे भारत ने चीन को सबक सिखाने का मन बना लिया है, यही कारण है कि अब हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर यूनाइटेड नेशन मे भारत के स्थायी अम्बेसडर और रिप्रेजेन्टेटिव राजीव कुमार चंदर अपनी बात खुल के रख रहे है। उन्होंने जेनेवा मे कहा कि भारत हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर काफी गंभीर है तथा इस मुद्दे पर भारत अपनी कड़ी नजर बनाए हुए है। आपकी जानकारी के लिए बता  दे कि हॉन्गकॉन्ग में नया बिल लागू हो चुका है जिसके अंतर्गत 180 लोगो की अभी तक गिरफ्तारी हो चुकी है। इस बिल में कहा गया है कि कोई भी नागरिक अगर हांगकांग की आज़ादी के लिए विरोध करते हुए पाया जाता है तो उसके लिए उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है, जिसके परिणामस्वरूप वहा पर अब विरोध करने वालों की हत्या हो रही है जो कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। चीन की सरकार विरोध को दबाने के लिए इस कानून की मदद ले रही है। चिंता की बात ये भी है कि चीन में लोक-तंत्र नही है और इसी कारण लोक-तंत्र को मानने वाले वहा के लोग इस बिल का विरोध भी नही कर सकते है। इस मुद्दे पर चीन ने कहा है कि हॉन्गकॉन्ग की अशांति के लिए वहा रह रहे बाहरी लोग जिम्मेदार है। हॉन्गकॉन्ग में बाहरी लोगों की तादाद काफी ज्यादा है और काफी ज्यादा मात्रा में भारत के लोग भी वहां रहते है पर अभी के हालात के कारण वहा रह रहे भारत के लोग खतरे में है क्योंकि अब हॉन्गकॉन्ग के लोगो पर चीन की पुलिस और हॉन्गकॉन्ग की पुलिस का दबदबा और कब्ज़ा रहने वाला है। हालांकि, राजीव जी ने जेनेवा में कहां की जो स्थिति आज हॉन्गकॉन्ग में बन रही है उसके अनुसार वो दुनिया को आगाह करना चाहते है कि फिलहाल जो स्थिति बनी है वो काफी गंभीर और चिंतनीय है और हम सब को हॉन्गकॉन्ग के लोगो के लिए इसपे विचार करना चाहिए। हालांकि चीन कभी भी इस बिल को लेकर कोई सोच विचार नही करेगा क्योंकि हॉन्गकॉन्ग को वो अपना अंदरूनी मामला समझता है लेकिन भारत ने जिस तरह से इस मुद्दे पर अपना मत रखा है इससे ये बात साफ हो गयी है कि भारत अब हर मुद्दे पर चीन का विरोध करेगा और चीन के प्रति अपना रवैया बचाव का न रख कर आक्रामक रखेगा। इससे एक बात भारत ने और साफ कर दी है कि अगर यूनाइटेड नेशन में हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर कभी भी चुनाव होता है तो भारत चीन के विरोध में मत देगा। आज  अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर  चीन के खिलाफ  बोल कर अपना पक्ष सामने रख दिया है। आज चीन और भारत के बीच काफी ज्यादा विवाद बढ़ चुका है इसलिए भारत ने चीन की हर दुखती नब्ज़ को दबाने का मन बना लिया है। हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर न सिर्फ भारत बल्कि ब्रिटैन और अमेरिका भी चीन को घेरने में लगे है पर देखना ये होगा कि चीन पर इसका क्या असर पड़ेगा?वैसे, मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा लग तो नही रहा है कि चीन पे इसका कुछ असर भी हो रहा है।
सोनल सिन्हामुंबई

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