भारत में कोरोना विस्फोट चरम पर है, 3–80 लाख के लगभग मामले एक दिन में आना अपने में भयावह है किन्तु साथ ही ठीक होने वालों की संख्या भी 2–97 लाख के लगभग है, जो बाकी देशों की तुलना में संतोषजनक है । इस बार कोरोना की सूनामी युवाओं को अ/िाक चपेट में ले रही है ।
इन दिनों हमने आक्सीजन पर मारामारी देखी । सुनने में कितना अजीब लगेगा कि आक्सीजन का सबसे बड़ा उत्पादक देश स्वयं आक्सीजन की कमी से जूझ रहा है । अस्पतालों में कितने मरीज बेमौत मारे गए । कारण सिर्फ एक कि आक्सीजन न मिल पाने के कारण उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी । दवाईयों पर जमाखोरी और मुनाफाखोरी की चर्चा आम हो गई । सख्ती बरती जाने लगी पर फिर भी करने वाले अपना काम कर गए ।
एक बात और प्रमुखता से उभर कर आ रही है कि कोरोना इस बार पहले से अधिक भयानक रूप बनाकर आया है । पिछले दो दिनों में दो होनहार–प्रतिभावान–यशस्वी पत्र्कार और साहित्यकारों को हमने खो दिया । जाने–माने टीवी दुनिया के पत्रकार भाई रोहित सरदाना तथा वरिष्ठ साहित्यकार–कवि डॉक्टर कुँअर बेचैन जी हमारे बीच नहीं रहे । अनुराधा प्रकाशन–उत्कर्ष मेल परिवार श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।
वर्ष 2020 में पहले लहर आई थी काफी हाहाकार मचा था । आप सब जानते हैं । पूरी तरह से समाप्त न होने पर भी हमारा पूरी महामारी से निपटने का प्रबंधन बहुत कमजोर रहा , कहीं अस्पताल में आग लगने पर दर्जनों मरीज मारे जाते हैं , कहीं आक्सीजन की सप्लाई पूरी न होने पर मारे जाते हैं । कहीं प्लाज्मा का न मिलना, कहीं ऑक्सीजन का उपलब्ध न होना । जनता तक सही निर्देश पहुंचा नहीं पाए हम ।
कहीं विज्ञापनों पर जोर है, कहीं चुनावी रणनीतियों (अभियान–रैलियां, प्रचार–प्रसार आदि) पर । नतीजा सामने है––––
हाँ पिछली बार की ही तरह इस बार भी स्वयंसेवी संस्थाओं, साहित्यकार–समाजसेवी वर्ग, सोशल मीडिया के मा/यम से परेशान लोगों तक सुविधाओं का, आवश्यक जानकारी का पहुँचाया जाना चलता रहा । इन सेवाओं पर घड़ी का अंकुश भी न था, 24 घेंटे उपलब्ध होते हैं ये सभी । मानवता को प्रणाम–––––
मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (संपादक)