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नारी (कविता-6)

विश्व की शान है नारी

विश्व की ………….

हर घर की पहचान है  नारी

नारी है तो मान है

नारी है तो सम मान है

क्यों भूल जाते हो

नारी ही नर की खान है

नारी है हर सफलता है

नारी है तो ममता है

नारी से ही समता है

नारी नहीं विफलता है ।

नारी से हर आशा है

नारी ही अभिलाषा है ।

नारी है तो विशवास है।

नारी हीसबकी आस है ।

नारी ममता  की। मूरत है

नारी से ही जरुरत है

नारी तुझे सलाम करता हू

हर दिन तुझे प्रणाम करता है।

       जयप्रकाश सूर्य वंशी

साकेत नगर नागपुर

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