ग़ज़ल 1
हम उसे देख कर गए खिल से
आँख में ख़्वाब भी हैं झिलमिल से
आपका ख़त मुझे मिला लेकिन
हाथ मेरे गए थे कुछ छिल से
ख़ुद को उसके हवाले करके मैं
दोस्ती कर रहा हूँ क़ातिल से
मौत क्या रास उनको आएगी
ज़िंदगी से फिरे जो ग़ाफ़िल से
दर्द उसका वहाँ भी क़ायम था
लौट कर आ गया वो मंज़िल से
ग़ज़ल 2
यार अपनी पीर भी अपनी ही जागीर है
अश्क से इसको पढ़ो दर्द की तहरीर है
प्यासे रह कर ही सुनो प्यास की तक़रीर है
सर चढ़े तो क्या कहूँ सरफ़िरी तक़दीर है
कच्चे धागे सी लगे ज़िंदगी जंज़ीर है
परिचय
बलजीत सिंह बेनाम
जन्म तिथि:23/5/1983
शिक्षा:स्नातक
सम्प्रति:संगीत अध्यापक
उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित
आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ
सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी
मोबाईल:9996266210