आना होगा भारत में,
उन वीरों की माताओं को।
फिर से शिवा करें पैदा,
जो लिखें उन्हीं गाथाओं को।।
देश के दो नेताओं ने,
आजादी से अपधात किया।
भगतसिंह तेरे भारत को,
दो हिस्सों में बांट दिया।।
चले गए गोरे भारत से,
अपने तखतो ताज हुए।
दी भुला शहादत वीरों की,
ये कुर्सी के मोहताज हुए।।
तिलक गोखले भुला दिए,
इतिहास भुलाया भारत का।
बोषबंगाली कहां गया,
यह लाल छुपाया भारत का।।
मंगल पांडे मौलाना, आजादी के दीवाने थे।
राजगुरु सुखदेव भगतसिंह,
फांसी को चूमने वाले थे।।
महाराणा प्रताप शिवा,
लक्ष्मी ने तलवार उठाई थी।
लालतेरे उधमसिंह ने,
डायर को गोली मारी थी।।
चले गए गोरे भारत से,
अपने तखतो ताज हुए।
दी भुला शहादत वीरों की,
ये कुर्सी के मोहताज हुए।।
नोसों साल गुलामी झेली,
इतिहास भुलाया भारत का।
मेंकाले की शिक्षा नीति,
सम्मान धटाया भारत का।
70 साल की लंबी पारी,
खेली जिन सरकारों ने।
देश को कर कमजोर दिया,
जयचंद जैसे गद्दारों ने।।
चन्द्रसेन समझना होगा,
फिर्का पर्शती बन्द करो।
विश्व पटल पर भारत हो,
सब मिलकर ऐसी पहल करो।।
डॉक्टर चंद्रसेन शर्मा पलवल