आपकी हो कृपा तो तृप्ति मिले
शरण में आया है ये प्यासा मन
चिर प्रतीक्षा पूर्ण नहीं हो रही
मन चाहता नहीं दूसरा कोई धन
अनवरत साधना का पथ यूँ दिखे
जैसे मृग ढूँढें कस्तूरी को वन वन
आपकी वो कृपा आज मुझको मिले
जिसको खोजे दुनिया का हर जन
सार हीन जीवन ये भी भव पार है
समर्पण के पुष्प गर कर लो ग्रहण
अंजू मल्होत्रा
परिचय
नाम : अंजु मल्होत्रा
व्यवसाय : अध्यापन (पिछले २५ साल से) आजकल नोएडा के सुप्रसिद्ध स्कूल में कार्यरत हूं।
अपने कार्यकाल में विभागाध्यक्ष वा परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्य किया है।
कविता लिखना शौक है। एक काव्य पुस्तक अनुभूति प्रकाशित हो चुकी है।कई समृद्ध मंचों पर काव्य पाठ किया है ।
इस से पूर्व शैक्षणिक पुस्तकों व पाठ्यक्रमों की रचना ओरिएंट ब्लेकस्वान और मधुबन प्रकाशकों के साथ किया है। भारत के कई राज्यों में अध्यापकों हेतु कार्यशालाओं का आयोजन किया है।
बस यही किया है…