भीमराव महान, बने संविधान निर्माता।
जनक संविधान के, देश भाग्यविधाता।
दिया गणराज्य हमें, नया भारतबनाया।
बने सर्वेसर्वा हम, नया कानून बनाया।।
स्त्री पुरुष में भेद नहीं, सम अधिकार दिलाया ।
दी समानता की शिक्षा, ज्ञान प्रकाश फैलाया।
दलित, शोषित,पिछड़ों खातिर जी जान लगाई।
एकता का पाठ पढ़ाया ,नई पहचान कराई।।
“शिक्षा” शेरनी का दूध, जो पिए वही दहाड़े।
रहे वंचित शिक्षा से जो, रह गए वहीं पिछाड़े।
विरोध कुरितियों का किया, सही दिशा बतलाए।
सब धर्मों का मान किया, हरिजन हित कार्य किए।।
दलितों के उद्धारक, महान अर्थशास्त्री,
जिए देश खातिर, मरे देश के लिए।
अथक परिश्रम से उच्चतम शिक्षा पाई।
ली तीस डिग्रीयाँ, ज्ञान आठ भाषाओं का पाया।।
संघर्षों भरा जीवन जिया।
न झुके, न टूटे, न रुके, डटे रहे।
सफलता का परचम लहराया।
ऊॅंचा देश का नाम किया। ।
“भारतरत्न ” सर्वोच्च सम्मान देश का ,
देकर गौरव देश का बढाया।
ऋणी हैं हम, सदा रहेंगे।
अजर -अमर नाम रहेगा।।
चंद्रकला भरतिया
नागपुर महाराष्ट्र