कुशलेन्द्र श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार, वरिष्ठ साहित्यकार)
‘‘तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ अब इसके सिवाय और कुछ बचा ही नहीं है । लोकसभा चुनाव चरम पर हैं और माहौल बगैर कुछ कहे बहत कुछ कहता जा रहा है तो पार्टी और प्रत्यासी भी क्या करेगें……वे तो भजेगें ही सो वे भज रहे हैं ‘‘मेरा रामजी ही करेगें बेड़ा पार’’। कुछ लोग होते हैं जो संकट में ही भजन गाते हैं और भगवान जी के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं ‘‘मैं बैरी सुग्रीव प्यारा’’ प्रभु क्या गल्ती हो गई जो आपने संकट में उलझा दिया । भगवान जी तो मुस्कुराते ही रहते हैं । वे गल्तियां नहीं बताते ‘‘तुमने की हैं तो तुम ही जानो…..’’ वे अच्छा करते हैं गिनाने बैठ जाएं तो गिनती कम पड़ जायेगी । चुनाव की वैरतणी पार करना है । हर प्रत्यासी पहले तो खुद ही जोर लगाता है उसे लगता है कि ‘‘चुनाव…..अरे यूं ही जीत जाउंगा…’’ । उसे भ्रम होता है कि वह बहुत ‘‘पापुलर’’ टाइप का नेता है, उसे भ्रम होता है कि सारे मतदाता उसे ही विजयी बनाना चाहते हैं । उसे भ्रम होता है कि वह सच्चा समाज सुधारक है, वह समाज सुधारक बनने के लिए चुनाव जीतना चाहता है, वह कुर्सी पर बैठे बिना समाज सुधार का कार्य नहीं कर सकता । वह नए कुरता-पायजामा पहनकर नामांकन फार्म जमा करने जाता है उसके चेहरे पर घमंड होता है, उसके पीछे भीड़ होती है, पर जैसे-जैसे चुनाव की गहराई में उतरता है तो उसे समझ में आ जाता है कि वह जल की गहराई नहीं दलदल की गहराई है, वह और आगे बढ़ता है तो और दलदल में फंस जाता है । अब वह हाथ जोड़ता है ‘‘हे प्रभु बचा लो !’ । तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार वह गाता है पर अब कुछ नहीं होने वाला । वह तो फंस ही चुका होता है जो फंस जाता है वह फंस ही जाता है । समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले प्रत्याषी तय किए और लिस्ट जारी कर दी पर बाद में उन्हें अहसास हुआ कि उन्होने कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर दी है अब उनके प्रत्याषी एक के बाद एक बदलते चले गए । जिसे पहले टिकिट दिया था उसने नए कुरता-पायजामा सिलवा लिए पर जब टिकिट कटा तो उसकी त्यौंरी चढ़ गई ‘‘फिरीफोकट में सिलाई का खर्चा लग गया’’ । दूसरे को टिकिट दी फिर तीसरे को । पार्टी ने ढेर सारे असंतुष्टों में दो की संख्या और बढ़ा ली । अब समाजवादी पार्टी भी गा रही है ‘‘तेरा रामजी ही करेगें बेड़ा पार’’ । कांग्रेस की स्थिति बिल्ुकल ही अलग है उसके सामने तो एक ही बात है ‘‘तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ । कांग्रेस का बेड़ा पार तो रामजी भी करने से रहे ऐसा कुछ दलों का अनुमान है । वे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल ही नहीं हुए थे । उनके इस निर्णय से भी बहुत सारे नेताओं को कांग्रेस छोड़ने का बहाना मिल गया था । कांग्रेस को छोड़कर जाने वालों की संख्या में एकाएक वृद्धि होती दिखाई देने लगी । जब नदी सुखती है तो उसमें रह रही मछलियां अपने आप जल से बाहर हो जाती हैं कांग्रेस की स्थिति भी वैसी ही होती जा रही है । हर कोई चाहता है कि वह जल्दी से जल्दी कांग्रेस छोड़ दे । पिछले वर्ष मध्यप्रदेष के विधानसभा चुनाव के समय भाजपा छोड़कर नेता कांग्रेस में शामिल हो रहे थे उन्हें लग रहा था कि अब बस कांग्रेस आ ही गई पर कांग्रेस नहीं आई आ भी नहीं सकती जादू है भाजपा के पास जमूरा वाला जादू । बोल जमूरा कितनी सीट जितायेगा…….जमूरा बोल देता है चार सौ पार’’ । दूसरी पार्टी ऐसा जादू नहीं सीख पाई । बाहर से जो दिखता है अंदर से वैसा होता नहीं है । बाहर से दिख रहा था कि कांग्रेस की सरकार बन जायेगी पर अंदर से भाजपा की सीटें ऐसे निकल आई जैसे सूखे तालाब से मछली निकलती है । सभी आष्चर्य चकित ऐसा कैसा जादू हुआ पर वो तो हो गया । अब नेता समझ गए कि कांग्रेस का कुछ होने जाने वाला नहीं है उसका बेड़ा तो रामजी भी पार नहीं लगाने वाले तो वे अब कांग्रेस से निकल-निकल कर भाजपा में भर्ती होते जा रहे हैं । उन्हें अपना बेड़ा पार भाजपा में होता दिखाई दे रहा है । प्रतिदिन प्रति कभाजपा कार्यालय में भाजपा ज्वाइन करने वालों की कतारें लगी दिखाई देने लगी हैं । भाजपा कार्यालय में एक कक्ष अलग से बना दिया गया है ‘‘भाजपा ज्वाइनिंग कक्ष’’ । एक कार्यकर्ता को बैठा दिया गया है । भाजपा ज्वाइन करने वाला खुद अपने साथ अपने लिए फूलों की माला लाता है जिसे भाजपा कार्यकर्ता उसके गले में पहना देता है पार्टी की तरफ से एक गमछा भी पहना दिया जाता है फोटो खिंचती है ज्चाइन करने वाला मुस्कुराता हुआ फोटो खिंचवाता है और ज्वाइन कराने वाला झुझलाता हुआ फोटो खिंचवाता है । बस उसका काम खत्म अब जाओ ‘‘पार्टी’’ के लिए काम करो । ज्वाइन करने वाले को मालूम ही नहीं कि काम क्या करना है उनके पास तो पहले से ही इतने काम करने वाले हैं कि काम कम पड़ जाते हैं वो चुपचाप नया गमछा पहने कोने में बैठ जाता है । ज्वाइनिंग करने वालों का भाजपा तो रिकार्ड भी नहीं रख रही है कि कौन ने उनकी पार्टी की सदस्यता ले ली है और कौन ने फोटो खिचवा ली है यह जबाबदारी भी ज्वाइन करने वाली की है ‘‘तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ । वह मुस्कुराता हुआ भाजपा कार्यालय से निकलता है और सामने खड़े पुलिस वाले को सीना तानकर बताता है कि वह भाजपा का कार्यकर्ता बन चुका है उसके लिए बस यही एक काम है । कांग्रेस को शुरू में लगा होगा कि वह तो सागर है और सागर से एक बूंद पानी के निकल जाने का कोई मतलब नहीं पर अब तो बाढ़ के साथ नेता बह-बह कर निकल रहे हैं जब तक मछली बहकर जा रहीं थीं तब तक तो ठीक था पर अब तो व्हेल मछली भी बाहर निकलने लगी है । अब तो सागर में नेता कम होते दिखाई देने लगे हें । हाईकमान को तो पता ही नहीं है कि अब उनका कौन बचा है और कौन दूसरी पार्टी का गमछा गले में डालकर उनके बारे में बुरा-बुरा बोल रहा है । कल तक जो प्रवक्ता कांग्रेस का प्रवक्ता बन कर भाजपा को कोस रहे थे वे अब भाजपा के प्रवक्ता बन कर कांग्रेस को कोस रहे हैं । न उन्हें शर्म आ रही है और न बुलवाने वालों को । सुनने वाला तो केवल मजे ही लेता है वा समझ जाता है कि इसका बेड़ा तो ऐसे ही पार होगा । लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच पार्टी छोड़ो हलचल मची है । गठबंधन का भी अपना मजा है । पहले गठबंधन बनाओे….एक एक दल को मना-मना कर अपने गठबंधन में शामिल करो फिर चुनाव के लिए सीट शेयरिंग करो । इस शेयरिंग में सबसे अधिक घाटा तो कांग्रेस को ही हो रहा है । प्रसाद बांटने वाला कम कम प्रसाद बांटता हे फिर भी आखिर में उसके पास प्रसाद नहीं बचाता वह केवल उंगली चाट कर प्रसाद खा लेने के भाव रख लेता है । कांग्रेस की स्थिति भी यही है वह राष्टीय पार्टी होने के बाद भी हर एक क्षेत्रीय पार्टियों को प्रसाद बांटते बांटते खाली हाथ ही रह गई । उसके पास तो इतने भी प्रत्याषी नहीं हैं कि यदि वह अकेले चुनाव भी जीत जाये, उसके सारे प्रत्याषी चुनाव जीत जाये तो भी वह सरकार बना सके । सब कुछ तो बांट दिया । इतना सब बांटने के बाद भी वह अपना बेडा पार नहीं कर पा रही है । चुनाव चल रहे हैं सारी पर्टियां बहुत सारे सपने लेकर चुनाव मैदान में हें सभी को लग रहा है कि रामजी उनका बेड़ा पार करेगें । रामजी मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं । भाजपा सबसे ज्यादा उत्साहित है । उसके पास संगठन भी है और सत्ता भी । जिसके पास संगठन होता है उसके पास कार्यकर्ता भी होते हैं । कार्यकर्ता ही बेडा पार लगवाते हें । भाजपा के पास कार्यकर्ता हैं उसे आयतित कार्यकर्ताओं के भरोसे कुछ नहीं करना । भाजपा के एक नेता ने एक कार्यकर्ताओं की मीटिंग में बोला भी था ‘‘देखो भाई तुम भाजपा के कार्यकर्ता कब से …..कम से कम पन्द्रह बीस सालों से तो हो ही…..जब तुम्हें इतने सालों में कुछ नहीं मिला तो जो नवागत कार्यकर्ता या जो नेता आ रहे हैं उन्हें कैसे कुछ भी मिल जायेगा……तो तुम उनकी चिन्ता मत करो वे आयेगें और चुपचाप कोने में खड़े हो जायेगें’’ । कार्यकर्ता प्रसन्न हुए । सच्चाई तो यही है जो आ रहे हैं वे सपने लेकर आ रहे हें उन्हें सत्ता का सुख चाहिए । एक कार्यकर्ता के लिए सत्ता का सुख का मतलब होता है पुलिस वाले को डांट सके वह सुख उन्हें मिल जायेगा जो बड़े नेता आये हैं उनके लिए कुछ नहीं है । भाजपा के पास तो वैसे भी नेताओं की फौज है उनका बेड़ा तो केवल कोने में खड़े-खड़े ही पार होना है । कांग्रेस उत्साह दिखाती हुई चुनाव लड़ रही है वैसे उनके पास उत्साह है ही नहीं । दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां संभावना को लेकर चुनाव लड़ रही है । उनका जन्म ही संभावनाओं के आधार पर हुआ है । पर आप पार्टी की स्थिति सबसे अधिक खराब है । केजरीवाल जेल के अंदर हैं उनका बेड़ा पार नहीं हो पाया उन्होने तो भजन गाया भी ‘‘मेरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ पर नहीं हुआ । अब वे सींखचों के अंदर हैं । वे कब बाहर निकलेगें कोई नहीं जानता । उनका बेड़ा कैसे पार होगा वे खुद नहीं जानते । सच्चाई तो यही है जो आ रहे हैं वे सपने लेकर आ रहे हें उन्हें सत्ता का सुख चाहिए । एक कार्यकर्ता के लिए सत्ता का सुख का मतलब होता है पुलिस वाले को डांट सके वह सुख उन्हें मिल जायेगा जो बड़े नेता आये हैं उनके लिए कुछ नहीं है । भाजपा के पास तो वैसे भी नेताओं की फौज है उनका बेड़ा तो केवल कोने में खड़े-खड़े ही पार होना है । कांग्रेस उत्साह दिखाती हुई चुनाव लड़ रही है वैसे उनके पास उत्साह है ही नहीं । दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां संभावना को लेकर चुनाव लड़ रही है । उनका जन्म ही संभावनाओं के आधार पर हुआ है । पर आप पार्टी की स्थिति सबसे अधिक खराब है । केजरीवाल जेल के अंदर हैं उनका बेड़ा पार नहीं हो पाया उन्होने तो भजन गाया भी ‘‘मेरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ पर नहीं हुआ । अब वे सींखचों के अंदर हैं । वे कब बाहर निकलेगें कोई नहीं जानता । उनका बेड़ा कैसे पार होगा वे खुद भी नहीं जानते । उनके साथ ही साथ उनकी पार्टी का बेड़ा भी अब रामजी के भरोसे ही है । उनके एक मंत्री ने स्तीफा दे भी दिया है । मतलब साफ है कि ‘‘तेरा रामजी ही करेगें बेड़ा पार’’ । कहां तो आप पार्टी राष्टीय पार्टी बनकर देष के विभिन्न राज्यों में लोकसभा में अपने सांसदों को भेजने पर विचार कर रही थी इसके लिए ही उन्होने इंडिया गठबंधन में अपने सहभागिता भी दी थी और उन दलों के और उन नेताओं के कांधे पर हाथ रखकर बेषर्मी के साथ खड़ी हो गई थी जिनके विरोध के चलते ही आप पार्टी अस्तित्व में आई थी । अब हाथ कुछ नहीं रहा । अरविन्द केजरीवाल अपने कुछ मंत्रियों के साथ जेल में हैं और आप पार्टी का कोई धनीधोरी नहीं है वो कृपा है कि आप पार्टी सांसद संजय सिंह जेल से जमानत पर बाहर आ गए और वे जैसे-तैसे अपनी पार्टी को संभालने का प्रयास कर रहे हैं । पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान, बड़े प्रदेष के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपना कद बड़ा नहीं कर पाए है वे आज भी दूसरी पंक्ति के नेता ही बने हुए हैं । ‘‘ेतरा रामजी करेगें बेड़ा पार’’ की प्रार्थना के साथ ही देष के वर्तमान विपक्षी दल चुनावी समर में पहलवानों जैसा बाना पहनकर उतर तो चुके हैं पर वे जानते हैं कि उनका बेड़ा पार होने वाला नहीं है । चुनाव शतरंज की चौसर जैसे होते हैं जिसमें योजना भी बनानी होती है, षडयंत्र की रूपरेखा भी बनानी होती है और दांव पेच के साथ ही साथ सामने वाले के मनोबल को गिराने के मोहरे भी चलने होते हैं । भाजपा ऐसी रणनीति में माहिर हो चुकी है वह जानती है कि किसको कैसे परास्त किया जा सकता है, उसने शतरंज पर अपने मोहरे चलने तो कभी के प्रारंभ कर दिए थे बल्कि यूं कहें कि वह सालभर केवल शतरंज ही खेलती रहती है तो कोई गलत नहीं होगा, भाजपा अध्याक्ष का काम ही यह है कि मोहरे चलो और जब शह देने की बारी आए तो अमितषाह को सामने खड़ा कर दो, वे शह और मात देने में मास्टरी किए हुए हैं । इनसे किसी पार्टी को पार पाना है तो उन्हें शतरंज सीखना होगा । कुष्ती के दांव पेंच से अब काम चलने वाला नहीं है । दिमाग चाहिए और साथ ही रामजी की कृपा भी । जा पर होहि राम की कृपा वह ही तो वैरणी पार हो सकता है । भाजपा पर यह कृपा बरस रही है तो वैतरणी वे ही पार करेगें कहने वाले भले ही कहते रहें ‘‘मैं बैरी सुग्रीव प्यारा’’ । पर यदि सुग्रीव रामजी के साथ है तो वह रामजी का प्यारा होगा ही । अभी तो चुनाव कें बाद भी बहुत कुछ होना है जो कुछ होगा वह विपक्ष को पसंद नहीं आयेगा और सत्ता पक्ष हमेषा ऐसा ही करता है जो विपक्ष को पसंद न आए वह ही खेल खेला जाता है तो विपक्ष को तैयार रहना होगा ।