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सिद्ध बहुत तन की गुफा  (दोहे)

साधे तो सधता सभी, योग बड़ा विज्ञान |

मन की इच्छा पूर्ण हो, आ जाये संज्ञान ||

मन की आंखें खोल तो, देख जगह संसार |

वरना सब कुछ सो रहा, जो तेरा अधिकार ||

सांसों में है भेद सब, सब सांसों का सार |

भार समर्पित भाव यह, जीवन का आधार ||

योग चेतन धैर्य है, योग चिरंतन सत्य |

मन के अंदर झांकना, ढूंढ निकाले तथ्य ||

क्या लूटूँ क्या बांट दूं, सब कुछ तो है आप |

अपना सब कुछ भी नहीं, अपनी महिमा नाप ||

सिद्ध बहुत तन की गुफा, मन का गढा विचार |

हम प्रचार किसका करें, किसका खांय अचार ||

घंटे की ध्वनि में बजा , वह है राग विराग |

पंख लगाये जो चला , वह जाने सब भाग ||

सब में तुम अमृत घुले , सब में सरबत साक |

अंधी गठरी खोलता , जिसका जागा भाग ||

कर्म करे तो बोलता , बांटे सब वह ज्ञान |

हम तो खोले आँख वह , जिसमें फूटे प्रान ||

सब कुछ देता मान तू , यही योग यह ज्ञान |

ध्यान समाहित साधना , दिव्यदर्शन विज्ञान ||

कवि, पत्रकार एवं सम्पादक- करन बहादुर

संस्थापक- दिव्य दर्शन योग सेवा संसथान (रजि.)

मुख्यसम्पादक – सम्बन्धसेतु समाचार पत्र

बादलपुर (निकट-मस्जिद) दादरी , ग्रेटर नोयडा

उत्तर प्रदेश (भारत)203207

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