आओ, योग करें हम और करें आत्म- मन्थन,
योग हमारे लिए आज है कितना उपयोगी?
इसका है अभिप्राय पुरुष-प्रकृति की विवेचना और
पुरुष- तत्व का आसन- रूप में विश्लेषण है।
गीता में भी कहा कृष्ण ने पुरुष-प्रकृति विश्लेषण है,
अन्य वक्ता भी इसको इसी अर्थ मैं हैं मानते।
इसके होते पन्द्रह प्रकार जो अति महत्वपूर्ण हैं-
नमस्कार, वज्रासन , अर्धचन्द्रासन , नटराजासन,
गोमुख आसन, सुखासन, योग मुद्रासन, सर्वांगासन,
ताड़ासन , शवासन, वृक्षासन , भुजंगासन, दंडासन,
उष्टासन, कोणासन– बतलाते सब योगपुरुष हैं।
अर्ध हलासन, हलासन, विपरीतकर्णी, पवनासन
नौकासन को भी श्रेष्ठ योग-आसन बतलाते।
योगासन को सप्ताह में
यदि करें एकबार भी,
स्वास्थ्य- दृष्टि से होता है
अति लाभप्रद– यह मत मेरा।
मगर कथन है यह औरों का यदि सप्ताह में,
तीन बार करें योग, बीस मिनट, अति-उत्तम है।
योग और अध्यात्म का है अद्भुत मेल अति- उत्तम,
ध्यानमग्न होकर करते हैं हम दोनों को सम्यक्।
अध्यात्म ईश-चिन्तन है और एक महा -दर्शन भी,
योग- क्रिया साधन जीवन का सबसे श्रेष्ठ विजन’।
दोनों पृथक- पृथक होकर भी एक ध्येय- संम्पूरित,
इनकी समरसता से ही यह जीवन बने महत्तम।
यम- नियम आसन, प्राणायाम प्रत्याहार और
ध्यान- समाधि के सम्मिलन से बना योग है।
रोग- मुक्त होने के लिए योग ही सर्वोत्तम उपाय है
इसे ‘स्वास्थ्य- विज्ञान भी कहते’ कुछ विद्वान जन,
ऋषि- महर्षियों ने निरोग काया के वास्ते
बतलाया है योग-साधना की चिर- पद्धति यह
इसीलिए हम जीवन का एक अंश मानकर
योग को अपने दैनिक जीवन में करें शीघ्र धारण
यही विशेषज्ञों की भी है सम्मति- सुमन्त्रणा,
प्रतिदिन प्रातः उठकर योग करें, निरोग रहें!
डॉ.राहुल
2. संक्षिप्त परिचय
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान,लखनऊ और हिन्दी
अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत डॉ.राहुल की
अबतक 70 कृतियां– कविता,कहानी,उपन्यास
और आलोचा आदि विधाओं मेंप्रकाशित हो चुकी
हैं। बाल- साहित्य तथा सम्पादन के क्षेत्र में भी
इन्होंने अनेक स्तरीय सृजन किया है।उत्तर रामकथा
पर केंद्रित”युगांक”(प्रबन्धकाव्य)का लोकार्पण करते
हुए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा ने इसे
20वीं सदी की एक महत्वपूर्ण काव्य बताते हुए कहा-
इससे हमारी सामाजिक-राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी
एवं सांस्कृतिक चेतनाके पुनर्स्थापन को बल मिलेगा।’
प्रजातंत्र,जंगल होता शहर,कहीं अन्त नहीं कविता
संग्रह,महासमर,संत्रास उपन्यास के अलावा गिरिजा
कुमार माथुर: काव्य-दृष्टि और संवेदना, शमशेर और
उनकी कविता, लम्बी कविताओं की नामिकृति:
अग्निहोत्र सपनों में, प्रथम प्रयोगवादी कवि प्रभाकर
माचवे उल्लेख्य आलोचना कृतियां हैं जिनकी विशेष
चर्चा हुई। बीसवीं सदी: हिन्दी की मानक कहानियां
(4 खण्ड) एवं 20वीं सदी: हिन्दी के मानकनिबन्ध
(2 भाग: प्रस्तावना लेखक डॉ.रामदरश मिश्र)
राजभाषा सम्बन्धी महत्वपूर्ण पुस्तकें भी बहुचर्चित
हैं।अटल बिहारी की काव्य-साधनाऔर सुभाषचंद्र
बोस और उनका उत्तर जीवन विश्वस्तरीय ग्रन्थ हैं।
राहुल का जन्म का जन्म 2 अक्टूबर 1952 ई.
ग्राम-खेवली, जिला वाराणसी (उ. प्र) में एक सामान्य
कायस्थ परिवार में हुआ है।
आकाशवाणी दिल्ली केन्द्र से इनकी वार्ताएं प्रसारित
हैं।कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय,लन्दन के इनस्लाइकोपीडिया
में इनका साहित्यिक सन्दर्भ प्रकाशित।
सम्पर्क: साइट-2/44, विकासपुरी नई दिल्ली-18
मो : !9289440742