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पितृदिवस पर

प्रेम के अक्षय पात्र सा
पवित्र रिश्ता
जो कभी नहीं रीतता
बाहर से सख्त
अंदर से नर्म
दिल में दफन कई मर्म
चटकती धूप से इरादे गर्म
उर में आस लिए
अमावस को भी कर दे रोशन ।
अपना दे निवाला
बच्चों के हाथों की लकीरों
को बदल दे…
जिंदगी की जद्दोजहद में भी
मुस्कुराहटों की रवानियां
बिखेर
समुद्र सी थाह में अथाह लिए
चुभती धूप में सहलाते से…
ना रूके, ना थके
मंजिलों पे नजर रखे
भीगे भीगे से मन के
कुछ उलझे, कुछ सुलझे
अंतर्द्वंद में फंसे से
गृहस्थी के चक्र में
बरगद की छांव से
भावनाओं की चांदनी बिखेर
घने साये में भी
खुशियों का ताबीज़ दे।
पापा आप मेरी जिन्दगी
का अहम हिस्सा..
आप ही से शुरू व आप ही पर खत्म मेरा हर किस्सा… .
आरती, अजान, अरदास सा
पाक रूहानी रिश्ता
राह ए रहबर सा…

(शिखा पोरवाल)

मनस्विनी

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