हे नारी!तू नारी है
मत भूल सभी पर भारी है
रब ने अलग बनाया तुझको
फूलों सा महकाया तुझको
तेरी माया तू जाने
कोई समझ ना पाया तुझको
तेरे कदमों पर दुनिया बलिहारी है
मत भूल सभी पर भारी है
कहीं पे राधा कहीं पे बाधा
कहीं पे थोड़ी कहीं पे ज्यादा
कहीं पे ममता खूब लुटाती
कहीं पे करती झूठा वादा
प्राण दायिनी शक्ति प्राणों से प्यारी है
मत भूल सभी पर भारी है
हे जननी तू जग की माता
कोई तुझको भूल ना पाता
हर प्राणी का किसी रूप में
रहता है बस तुझसे नाता
और कहूं क्या दुनिया तुझसे हारी है
मत भूल सभी पर भारी है
तुझको आज सुधरना होगा
अटल सत्य पर चलना होगा
ऐसे सृष्टि नहीं चलेगी
जरा सोचिए कल क्या होगा
अपनी कोख की बनी आज हत्यारी है
मत भूल सभी पर भारी है
–लक्ष्मीनारायण पंचाल