2024
डॉ.राहुल को विजया स्मृति गौरव सम्मान
शताब्दी-पुरुष प्रो. रामदरश मिश्र ने भारतीय साहित्य एवं कला-सांस्कृतिक प्रतिष्ठान ‘शब्दसृष्टि’, मुम्बई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ. राहुल को “विजया स्मृति गौरव सम्मान”(शाल और प्रतीक चिन्ह सहित) प्रदान किया। इस अवसर पर साथ में हैं- डॉ. ओम निश्चल,शब्दसृष्टि के निदेशक और मनोहर मीडिया संचालक प्रो.मनोहर प्राचार्य डॉ.मुकुन्द आंधलकर और मीडिया सचिव सुश्री आशा रानी।यह सम्मान समारोह…
ग्लोबल वार्मिंग प्रमुख वैश्विक समस्या
ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान समय की प्रमुख वैश्विक पर्यावरणीय समस्या है। यह एक ऐसा विषय है कि इस पर जितना सर्वेक्षण और पुनर्वालोकन करें, कम ही होगा। आज ग्लोबल वार्मिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिज्ञों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों की चिंता का विषय बना हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की…
सच्ची तस्वीर
अपने सपनों का इक महल बनाया है मैंने। उसको ख्यालों के फूलों से सजाया है मैंने।। कागज की कश्ती, बारिश का पानी, सब पुरानी बातें हैं। डिजिटल दुनिया के साथ अपना कदम बढ़ाया है मैंने।। इस शोर मचाती दुनिया में खूबसूरत खामोशी को अपनाया है मैंने। जब-तब संगीत सुना है सागर की लहरों से खूब…
हरा भरा खेत
बारिश हुई झम झमाझम , मेढ़क टर्र टर्र टर्रा रहे हैं । झींगुर बजा रहे शहनाई , केंचुए मिट्टी ये खा रहे हैं ।। पहले जो पड़े हुए थे श्वेत , आज हुए हरे भरे ये खेत । कह रहा है हर्षित बादल , चल किसान अब तो चेत ।। पड़े जो अब तक विरान…
जुगनू इन रातों के : अनिल भारद्वाज एडवोकेट
शीतल नहीं चांदनी रातें, उमस भरा सारा दिन, जाने कहां छिपी वर्षा ऋतु,कहां खो गया सावन। फूलों के मौसम में जिसने ढेरों स्वप्न संजोए, बिना आंसुओं के वो क्यारी चुपके चुपके रोए। सूख रहे हैं पुष्प लताऐं, प्यासी है अमराई, किसी पेड़ की छाया में,जाकर लेटी पुरवाई, जाने कहां जा बसे वे दिन,रिमझिम बरसातों के,…
बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है इसे रोकना जरुरी : लाल बिहारी लाल
================================================================ आज जनसंख्या रोकने के लिए सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके । वर्ष 2021 में असम सरकार इस ओर सख्त पहल की है और उ.प्र. सरकार भी आज जनसंख्या स्थिरिकरण…
गीतों के होठों पर
फिर वही यादों की बारिश,वही गम का मौसम। जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम। ख्वाबों के ताजमहल, रोज बना करते हैं, वादों के शीश महल, चूर हुआ करते हैं। फिर वही टूटी उम्मीदों के खंडहर सा मौसम, जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम। चांदनी आती नहीं, चांद भी नहीं आता, तारों…
लघुकथा – मैसेज (डॉ. कल्पना पांडेय ‘नवग्रह’)
बच्चे का दाखिला अच्छे कॉलेज में हो गया था। हाँ, उसकी मेहनत रंग लाई थी। उम्मीदों अरमानों के साथ हॉस्टल में व्यवस्था करा, माता-पिता।अश्रुपूरित आँखों से संबंधों-रिश्तों की मिठास भरे घर लौट आए। रीमा! कितना खाली-खाली लग रहा है। बच्चों की शरारत,उछल-कूद बड़ी याद आ रही। सच कहते हो, यहाँ उसके रहने से कुछ तो…
प्यारी सी बिटिया
मै गीत गुन -गुनाऊ सुन प्यारी सी बिटियाँ चिड़ियों सी चहकती रहे हर आँगन की बिटियाँ हर वक्त तू खुश रहे मेरी प्यारी सी बिटियाँ। मै तुझे आवाज लगाऊ तुम दोड़ी आओं बिटियाँ बाबुल का कहा मानती हर आँगन की बिटियाँ हर वक्त तू खुश रहे मेरी प्यारी सी बिटियाँ। मै सपने देखता जाऊं मेहंदी…