ऋतुएँ तो आती जाती रहेंगी नए-नए रंग दिखाती रहेंगी
आ.डॉ सरोजिनी प्रीतम जी हंसिकाओं से हंसाती रहेंगीं
एक ऐसी हास्य परी जो अपने सान्निध्य में आने वाले हर उम्र के व्यक्ति को मुस्कुराहटों का अनमोल तोहफ़ा निःशुल्क उपलब्ध करवातीं हैं।हर घटना पर अपने चुटीले अँदाज़ से व्यंग्यात्मक हंसिकाएं रचकर समूची मानव जाति की मानसिकता को तनाव रहित अँदाज़ में रूपांतरित करना ही तो सरोजिनी जी की लेखन शैली की विशेषता है।
साहित्य जगत में व्यंग्यात्मक शैली की पहचान
आदरणीया डॉ सरोजिनी प्रीतम जी को प्रणाम
6 अक्तूबर को जन्मीं डॉ सरोजिनी प्रीतम जी हिंदी साहित्य जगत की एकमात्र महिला व्यंग्य लेखिका हैं जिन्होंने हंसिका नाम की एक नई विधा को जन्म दिया।साहित्य जगत को अपनी व्यंग्यात्मक शैली से समृद्धि देने वाली महिला साहित्यकार आदरणीया सरोजिनी प्रीतम जी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।अपनी व्यंग्यात्मक शैली से हर स्थिति पर काव्य रच कर श्रोताओं और पाठकों के चेहरों पर मुस्कान लाने का फ़न तो सरोजिनी जी के ही पास है।हमारे भारत की अमूल्य धरोहर सरोजिनी जी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देती हूँ।अनुराधा प्रकाशन के प्रधान संस्थापक मनमोहन शर्मा जी की ओर से राष्ट्रीय पाक्षिक समाचार पत्र – उत्कर्ष मेल का ये विशेष कॉलम उनकी साहित्यिक सेवाओं को समर्पित है।सरोजिनी प्रीतम जी को नारी वेदना की सजीव अभिव्यक्ति के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है।सरोजिनी जी केवल मानव धर्म की उपासिका ही नहीं हैं बल्कि अपनी आध्यात्मिक प्रतिभा से, वह अपने राष्ट्र, संस्कृति और समाज के प्रति निष्ठापूर्वक कार्य कर रहीं हैं।
नारी वेदना को सजीव अभिव्यक्ति देती सरोजिनी जी की अनुपम कृति “सीता का महाप्रयाण” के लिए उन्हें 1985 में कामिल बुल्के अवार्ड से नवाज़ा गया था, जिसकी प्रतियाँ मात्र 125 रूपए में अब एमाज़ोन पर उपलब्ध हैं।
आजकल की पीढ़ी के साहित्य सेवियों के लिए ये एक अमूल्य निधि है, जिसके रसपान से नयी पीढ़ी को निश्चित ही आध्यात्मिक दिशा मिलेगी।सरोजिनी जी को साहित्य जगत में उनके अनूठे योगदान के लिए साधुवाद। (— श्रीमती कविता मल्होत्रा )