प्रभो!सद्बुद्धि दो उनको सभी का हो भला जग में।
न कोई विघ्न – बाधाएं कभी आएं मेरे मग में।।
जगत के जितने प्राणी हैं
सभी को आसरा तेरा,
तुम्हीं ने एक ही पल में
बिगड़ते भाग्य को फेरा,
तुम्हारी ही कृपा से सब
जगत का काम होता है,
कुटिल भी नाम लेकर के
भवसागर पार होता है,
वही सद्भावना भर दो अनाचारी के रग – रग में।
प्रभो! सद्बुद्धि दो उनको सभी का हो भला जग में।।
न होवे दीन -दुखियों का
पतन फिर अपने भारत में,
सुरक्षित हों सदा नारी,
घिरें न फिर से आरत में,
सभी में शान्ति का, सौहार्द का
चिर भावना पनपे,
न नफरत में कोई झुलसे,
न बालक दूध -बिन तड़पे,
भरण- पोषण सभी का हो, मनुजता हो हर इक पग में।
प्रभो! सद्बुद्धि दो उनको सभी का हो भला जग में।।
मूढ़मति जो भी कोई हो
उसे सद्ज्ञान से भर दो,
अहंकारी, पतित, दुर्बुद्धि को
निर्मल मनस कर दो,
हे मेरे राम! तुम आकर
ये देखो अपनी धरती को,
मची कैसी तबाही है,
करेगा कौन फिर नीको,
बढ़ रहा दानवों का फिर महा- उत्पात लगभग में।
प्रभो! सद्बुद्धि दो उनको सभी का हो भला जग में।।
डॉ.राहुल
विकासपुरी, नई दिल्ली-18