राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव
हाय ! कितनी प्यारी कटु हंसी से हंसे वे । वे तो भूल भी गए कि वो एक राज्य के कृषि मंत्री हैं । नेता तो ऐसे ही भूल जाते हैं, उवे च्यवनप्रास खाते हुए भी भूलने की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं । उत्तर प्रदेष के कृषि मंत्री ने बहुत बड़ा राज खोला कि ‘‘अरहर की दाल सौ यप्ये से कम कि रही है’’ और बोलते-बोलते वे मुस्ुकराए नहीं हंसे…..कुटिल हंसी हंसे…..हंसी में उनकी कुटिलता भी साफ झलक रही थी ‘‘सैंया भए कोतवाल तो अब डार काहे को’’ । मंत्री किसी से नहीं डरते, झूठ ओलने से तो वे बिल्कुल ही नहीं डरते । उनके झूठ बोलने की आदत ने ही उन्हें आम कार्यकर्ता से केबिनेट मंत्री तक पहुंचाया है । वे हंसे साथ में उनके साथ बैठे कृषि राज्य मंत्री भी हंसे…..फिर उनके हंसने का फोटो न्यज चैनल से लेकर अखबारों तक में छा गया । मंत्री जी को या तो दाल के दाम नहीं मालूम अथवा वे झूट का कटोरा लिए आमजन को हड़का रहे होंगें । अमजन तो वैसे भी षिकायत नहीं करती । मंहगाई कितनी भी बढ़ जाए आम आदमी भले ही पूरी जेब भरकर नोट और अपनी घरवाली का कांधे पर लटकाया जाने वाला पर्स लेकर बाजार जाने लगे फिर भी उसका पर्स सामान से न भरा पाए पर वह खामोष रहता है । मंत्रीजी के सामने भी वह खामोष था, पर बोले तो मंत्रीजी ही, बोले और हंसे माने सोच रहे हों ‘‘देखा कैसे बेवकूफ बना दिया’’ । आमनजनता तो वेट देने के साथ ही समझ जाती है कि वह बेवकूफ बन रही है, पर वह खुले मन से बन जाती है और कोई रास्ता है भी नहीं । नेताओं को कभ आटा-दाल के भाव नहीं मालूम रहते फिर तो वे मंत्री हैं, उन्हें भला कैसे मालूम होगा कि तुअर का दाल अब खाने के नहीं प्रदर्षन के काम आने वाली ि । आमजनता मंहगाई से इतनी पीड़ित हो चुकी है कि उसने पीड़ा को सहने की शक्ति हासिल कर ली है ‘‘इतनी शक्ति हमें देना दाता….कि विष्वास कमजोर ने हो’’ । विष्वास कमजोर तो अभी उनका भी नहीं हुआ है तो सूरजपाल नामक बाबा के चक्कर में अपने परिजनों की बलि चढ़ा चुके हैं । नारायण हरि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल, सफेद कपड़े, गले में टाई, आंखों में मंहगा रंगीन चष्मा और हजारों अनुयायी । ‘‘मेरी चरण रज लो’’ का उद्घोष और चमत्कार की आस में रहने वाले अनुयायी । भगदड़ मच गई और एक के बाद एक वे गिरते चले गए….फिर सैंकड़ों लाषों के ढेर लग गए । बाबा को महंगे चष्मे से कुछ दिखाई नहीं दिया होगा । हर एक रंगीन चष्मा वास्तविकता को छिपाने का काम करता है । बाबा के रंगीन चष्मे ने उन्हें रंगीन दुनिया ही दिखाई होगी । बाबा गायब हो गए और भक्त अपने परिजनों के मृत शरीर को ढूंढ़ते रहे भोले बाबा का भोलापन भी उन्हें दिखाई नहीं दिया । भारत तो वैसे भी बाबाओं का देष है । कोई भी बाबा बन जाता है और देखते ही देखते वह करोड़पति हो जाता है फिर वह हवा में उड़ने लगता है जो हवा में उड़ता है उसे जमीन दिखाई नहीं देती । सूरजपाल को भी अब जमीन नहीं दिखाई दे रही है । किसी को नहीं पता कि उसे दिव्य ज्ञान कैसे प्राप्त हुआ और किसी को नहीं पता कि उसका दिव्य ज्ञान किन के काम आ रहा है । बाबा पहलं आश्रम बनाते हैं आलीषान आश्रम, पाइव स्टार होटलें भी शरमा जाएं इतना भव्य आश्रम, फिर आश्रमों की संख्या बढ़ती जाती है, उनको जितनी गिनती आती है उतने आश्रम बना लिए जाते हैं । वे आश्रमों में मौज करते हैं और उनके भक्त उनके दिन भी फिर जायें की आषा से उनकी चाकरी करते रहते हैं । बहुत बड़ा भ्रम जाल फैला हुआ है । न बाबा कम हो रहे हैं और न ही उनके भक्त । ीले ही उनकी जान चली जाए, भले ही उनके परिजनों की जान चली जाए पर बाबा भगवान ही बने रहते हैं । घटना की जांच की औपचारिकताएं पूरी हो गई हें पर बाबा दोषी नहीं पाए गए हैं । जांच करने वाले और जांच कराने वालों की कोई तो मजबूरी रही होगी कि सारा कुछ साफ-साफ दिखाई देने के बावजूद भी दोषी केवल अधिकारी रहे और उन्हें निलंबित भी कर दिया गया । लगभग इस तरह की घटनायें और भी बाबाओं के समय हो चुकी हैं पर कोई भी सचेत नहीं होता न प्रषासन और न ही बाबा या उनके भक्त । बाबा बेषर्म हंसी हंसते हैं ठीक वेसे ही जैसे उत्तर प्रदेष के कृषि मंत्री ने ‘‘तुआर दाल सौ रूप्ए से कम है’’ कहते हुए हंसी थी । उनकी हंसी में भी वैसी ही कुटिलता दिखाई देती है । मंत्री जी कोई भी विभाग के हों उनके चेहरे पर मुस्कान हमेषा अमा जन को देखते ही आ जाती है । आमजन तुच्छती की श्रेणी में रहता है केवल चुनाव के कुछ महिनों को छोड़कर । चुनाव मे वह आष्वासन देता है, हर एक समस्या को हल कर देने का वायदा करता है । वह ऐसा वायदा करते हुए हंसता नहीं है, हो सकता है कि वे अपनी हंसी को अपने ओठों के अंदर ही समेट लेते हों । हर एक नेता के पास ऐसी कला होती है वे वो छिपा लेते हैं जो वे व्यक्त नहीं करना चाहते और वो व्यक्त कर देते हैं जो आमजन को पसंद आये । कृषि मंत्री ने बता दिया कि महंगाई बढ़ नहीं रही है लोग झूठ बोलते हैं । उनके पास लोगों के झूठ बोलने का थर्मामीटर है, महंगाई को यदि महसूस नहीं करोगे तो वह बढ़ती हुई दिखाई नहीं देगी । तुआरदाल आम आदमी खाता है, गेहुं आम आदमी खात है, तेल आम आदमी उपयोग करता है पर यह सारा कुछ मंहगा नहीं हुआ है केवल कुछ थोड़े से पैसे ज्यादा लगने लगे हैं । उनकी हंसी निकल जाती है, कुटिल हंसी, ऐसी हंसी जिसे देखकर गुस्सा आ जाए पर आम आदमी गुस्सा भी नहीं कर सकता वरना बुलडोजर तैयार खड़ा है । एक मुधर मुसकान रूस के राष्ट्रपति के चेहरे पर भी थी पर वो वास्तविक मुस्कान थी । श्रात के प्रधानमंत्री को रूस के सबसे बड़े सम्मान से सम्मानित करते हुए । भारत और रूस की मैत्री तो बर्षों पुरानी है, पर रूस के राष्ट्रपति और मोदी जी की मित्रता की कहानी पुरानी होते हुए भी नई है । वे हर बार गर्मजोषी के साथ मिलते हैं और हर भारतवासी इस पर गर्व करता है । ामेदी जी का रूस में स्वागत बहुत शनदार ढंग से हुआ । यह उनके द्वारा बनीई गई उनकी छवि के कारण ही है । विष्व स्तर पर भारत को ऐसा सम्मान मिलना मोदी जी की कूटनीति का ही परिचायक है । हंसे तो राहुल गाधी भी । लोकसभा में विचक्ष के नता बनने के बाद उनका दिया भाषण चर्चाओं में रहा, विषेषकर हिन्दूओं को हिंसात्म कहने पर ज्यादा चर्चा हुई । मीडिया सेल का काम ही होता है कि वो बहत सारी बातों में से ऐसा कुछ निकाल ले जो आम आदमियों को प्रभावित कर सके । मीडिया सेल ने राहुल गांधी के भाषण से बोल निकाल लिया जिसे भाजपा हथियार बना सकती थी तो उन्हेने बना लिया ं वैसे राहुल गांधी ने कई मुद्दे अपने भाषण में उठाए, ये वे मुद्दे हैं जिन पर बहस होनी चाहिए पर ऐसा नहीं हुआ । मीडिया सेल अपने काम मे सफल रहा, वह राहुल गांधी के भाषण से आमजन का ध्यान बांटने में सफल रहा । एन डी ए अब कुछ कमजोर होता जा रहा है । हाल ही में हुए सात राज्यों के 13 विधानसभा उप चुनावों में उसके कम होते असर को महसूस किया गया है । भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली वहीं इंडिया गठबंधन ने बेहतर प्रदर्षन किया । इंडिया गठबंधन को मिलने वाली हर एक सफलता उनका मनोबल बढ़ायेगी जिसकी बहुत ज्यादा आवष्यकता उनको है । लोकसभा चुनावों में उम्मीद से कहीं बहेतर सीटें हासिल करने के बाद उनका मनोबल बढ़ा है वहीं अब उपचुनावों में सफलता प्रापत् कर लेने के बाद उनका हौसला और बढ़ेगा ही । एक समय कांग्रेस मुक्त भारत का आव्हान करने वाली भाजपा को लग रहा था कि लोकसभा चुनावों में उनका यह नारा लगभग सच साबित होगा यही सोचकर कांग्रेस के भी बड़े-बड़े क्षत्रप् कांग्रेस छोड़कर चले गए थे कुछ तो उम्मीदवार ही अपनी पराजय के भय से कांग्रेस छोड़कर चल गए थे, पर वैसा हो नहीं पाया । ऐसा माना जा सकता है कि कांग्रेस शनैः-षनैः अपने स्थिति को मजबूत करती जा रही है । कांग्रेस ने अपने आपको झुका कर इंडिया गठबंधन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है, यही कारण है कि इंडिया गठबंधन अआी भी लगभग संगठित दिखाई दे रहा है बषर्त है कि अब इंडिया गठबंधन के किसी नेता के चेहरे पर उत्तर प्रदेष के कृषि मंत्री की तरह बिशैली मुस्कान भर न दिखाई दे । ऐसी मुस्कुराहट से आम आदमी चिढ़ने लगा है । मुसकान तो उन बच्चों की भी छिन चुकी है जिनका भविष्य नीट परीक्षा तय करने वाला था । नीट परीक्षा के परीक्षा परिणामों के विवाद में आने के बाद हर एक छात्र संषकित है । समय निकला जा रहा है और यह फैसला नहीं हो पाया है कि परीक्षा के परिणाम वही रहेगें कि दुबारा परीक्षा होगी । इस मामले में छात्र की सोच भी बंटी हुई है । छात्र नहीं चाहते कि उन्हें फिर से परीक्षा देने के कठिन दौर से गुजरना पड़े । नीट के परीक्षा परिणामों के विवाद के बाद कुछ और परीक्षाएं निरस्त कर दी गई हैं अब उनके छात्र भी परेषान हो रहे हैं ।