23 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में श्री श्री रविशंकर जी के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में, संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा घोषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए। इसलिए श्री श्री रविशंकर जी को योग का संस्थापक कहा जाता है। 21 जून 2015 को भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने योग दिवस मनाया। 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य, 21 जून बर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। इसी तरह योग के द्वारा मनुष्य दीर्घायु बने।
योग के पुनर्जागरण का श्रेय स्वामी रामदेव बाबा को भी जाता है। जिन्होंने विश्व के कोने-कोने में योग को पहुंचाया ।
योग के आदि गुरु भगवान शिव हैं ।शिव को योग गुरु कहा जाता है।
महर्षि पतंजलि को आधुनिक युग का जनक कहा जाता है। योग का अर्थ है ,चित्तवृत्ति निरोध, चित्त को एकाग्र कर चंचल होने से रोकना ।
भारत के हिंदू धर्म में महर्षि पतंजलि द्वारा प्राचीनतम अष्टांग योग का वर्णन किया गया है । योग सिद्धि इस प्रकार हैं- यम, नियम, आसन ,प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ,ध्यान ,समाधि ।
1,यम- अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह आदि ।
2,नियम -शौच,संतोष, तप, स्वाध्याय ,ईश्वर ,प्रणिधान।
3 ,आसन -कई प्रकार के होते हैं। किसी भी सुखासन में बैठने का लंबे समय तक बैठने का अभ्यास करना ।
4, प्राणायाम -आसन सिद्ध होने पर श्वास उच्छवास को रोकना ।
5 ,प्रत्याहार -इंद्रियों को अंतर्मुखी करना।
6, धारणा -मन एकाग्र कर एक विषय पर लगाना।
7,ध्यान -ह्रदय, मस्तक ,ललाट के बीच अग्रभाग ,स्वास स्वास, जप त्राटक आदि ।
8, समाधि-यह चित्त की अवस्था है। जब चित्त ध्येय वस्तु के चिंतन में पूरी तरह लीन हो जाता है। समाधि के द्वारा मोक्ष प्राप्ति होती है।
इस तरह एक षडंगयोग मैत्रायणी उपनिषद में आता है ।जिसके 6 अंग-
प्राणायामस्तथा ध्यानम् प्रत्याहारोडथ धारणा।
तर्क क्षेत्र संमाधिश्च षड़ंगी योग उच्यते।।
प्रत्येक व्यक्ति में उन्नत ज्ञान और शक्ति का आवास है ।योग उन्हें जागृत करने का मार्ग है ।अष्ट सिद्धि योग के द्वारा अष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अष्ट सिद्धियां इस प्रकार हैं-
1, अणिमा -इसके द्वारा शरीर को मच्छर से भी सूक्ष्म रूप धर सकते हैं ।
2, लघिमा- शरीर को रुई से भी हल्का कर सकते हैं ।
3, महिमा -शरीर को विशाल कर सकते हैं ।
4, गरिमा -शरीर को शिला के समान भारी बना सकते हैं।
5,प्राप्ति -संकल्प से सभी प्रकार के भौतिक पदार्थों की प्राप्ति कर सकते हैं।
6,प्राकम्य- बिना बाधा के भौतिक पदार्थों की प्राप्ति ।
7 ,वशित्व- पंचतत्व वस में करते हैं ।
8, ईशित्व – पंचभूत भौतिक पदार्थ उत्पन्न करने की क्षमता।
इस प्रकार नवनिधि भी प्राप्त हो जाती हैं। जो इस प्रकार हैं-
पदम निधि , महापदम् निधि, नील निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि , मकर निधि, 7कच्छप निधि, शंख निधि, सर्व निधि ।
निधि एक खजाना है ,धन के देवता कुबेर के पास है। यह नदियां हैं।प्रत्येक व्यक्ति में अनंत ज्ञान और शक्ति का आवास है ।योग उन्हें जागृत करने का मार्ग है प्रदर्शित करता है। स्वभाव से ही मन चंचल होता है। वह एक क्षण भी किसी वस्तु पर ठहरता नहीं है ।मन को एकाग्र कर बिखरी हुई शक्तियों को समेटकर सर्वोच्च ध्येय में एकाग्र कर देना ही योग है ।
प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है ।ध्यान के अभ्यास से मन शांत ,शरीर, वातावरण, समय को भूल जाता है ।ध्यान से कुंडलिनी जागृत होती हैं ।कुंडलिनी जागृत होने से पंच भूत वश में हो जाते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति में उन्नत ज्ञान और शक्ति का आवास है ।उन्हें जागृत करने का मार्ग योग प्रदर्शित करता है। हनुमान जी ने भी भगवान सूर्य को गुरु बनाकर अष्ट सिद्धि और नौ निधियों को प्राप्त कर लिया था। जब हनुमान जी सीता जी का पता लगाने लंका जा रहे थे ,तब उन्होंने सुरसा के सामने अष्ट सिद्धियों का उपयोग किया था ।हनुमान चालीसा में भी लिखा है-अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
आज मनुष्य शारीरिक रोगों से भी अधिक मानसिक रोग से ग्रसित हैं ।यही कारण है समाज में नशा ,व्यभिचार जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। योग का मुख्य लक्ष्य मोक्ष है।परंतु योग के द्वारा मोक्ष तक ना पहुंच पाए तो समाज को तो सुधार तो सकते हैं ।
इसलिए वर्ष में सिर्फ एक बार 21 जून को योग दिवस ना मना कर, विद्यालयों में नियमित योग की कक्षाएं चलनी चाहिए ।जिससे बच्चों में नैतिकता को विकास हो और समाज को बुराइयों से बचाया जा सके । जिससे समाज एवं राष्ट्र का उत्थान हो।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
हेमलता,राजेंद्र शर्मा मनस्विनी साईंखेड़ा नरसिंहपुर मध्यप्रदेश