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अवध में राम आए हैं

 – रवीन्द्र जुगरान 

    कलयुग में त्रेतायुग के, सरकार आए हैं।

    देखो-देखो आज अवध में, राम आए हैं।।

जग नियंता सीताराम, मन मंदिर में बसे हुए। 

भारत की माटी में खेलकर , दशरथ नंदन बढ़े हुए।।

जीवन में संबंधों की, मर्यादा लाए हैं।

ग्राम- नगर में खुशियों के, अम्बार छाए हैं।।

    देखो-देखो आज अवध में, राम आए हैं।1।

ध्वस्त हुआ जब महल प्रभु का, संघर्षों का दौर चला।

साधु, सन्यासी, गृह- त्यागी, बलिदानों का होम चला।।

हारे थके रूके नहीं हम, विजय न्याय से लाए हैं।

कारसेवको ने भी,अपने प्राण गवाए हैं।।

    देखो-देखो आज अवध में, राम आए हैं।2।

शपथ राम की पूरी हुई अब, भव्य मंदिर काज हुआ।

बाल रूप मुख चंद्रित सुन्दर, रामलला का वास हुआ।।

सरयू अयोध्या हर्षित आज, जीवन स्वप्न सजाए हैं।।

जन-जन की अभिलाषा के , शुभ (रवि) दीप जलाए हैं।।

    देखो-देखो आज अवध में राम आए हैं।3।

       स्वरचित- रवीन्द्र जुगरान 

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