– पंकज कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
17 अप्रैल 2024 को रामनवमी के पावन अवसर पर, दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणों से अयोध्या मंदिर में प्रथम बार भगवान राम का राजतिलक होगा । हिंदू नववर्ष ‘विक्रम संवत 2081’ की शुरुआत के साथ रामनवमी पर्व पर अयोध्या यह ऐतिहासिक आयोजन करने जा रहा जिसकी योजना पर काम चल रहा है और ट्रायल पूर्ण हो चुका है । अयोध्या में भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के मौके पर सूर्य की किरणें लगभग चार मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाएंगी। इसको लेकर चल रहा ट्रायल सफल रहा।वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और अद्भुत है। भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का विश्व साक्षी बना अब विश्व भारतीय वैज्ञानिको के अध्यात्म का अवलोकन करेगा, राम मंदिर में विज्ञान के चमत्कार को रामनवमी के अवसर पर लाईव देखेगा। कुल पांच मिनट भगवान भास्कर की किरणों से हनुमत आराध्य का तिलक होता दिखेगा। यह सूर्य तिलक 75 मिमी का होगा । ट्रस्ट के अनुसार सूर्य तिलक के इस प्रोजेक्ट को रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक संभालेंगे। वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए मिरर, लेंस व पीतल का प्रयोग करेंगे। इसको बिना बिजली व बैटरी की मदद से किया जाएगा। हर साल रामनवमी के अवसर पर रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की के विज्ञानियों की टीम ने सूर्य तिलक और पाइपिंग के डिजाइन पर काम किया है। सूर्य तिलक प्रोजेक्ट के अंतर्गत राम मंदिर की दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा तक पाइप और आप्टो-मैकेनिकल सिस्टम (लेंस, मिरर, रिफ्लेक्टर आदि) से सूर्य की किरणों को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए उच्च गुणवत्ता के चार शीशे व चार लेंस का प्रयोग किया गया है। दो शीशे मंदिर की दूसरी मंजिल और दो निचले तल पर लगाए गए हैं। दूसरी मंजिल पर लगाए गए शीशों के माध्यम से सूर्य की किरणें लेंस से टकराते हुए अष्टधातु के पाइप से गुजरेंगी। इसके बाद सूर्य की किरणें पाइप से होते हुए निचले तल पर लगे शीशे और लेंस से टकराकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर तिलक के रूप में पहुंचेंगी। दूसरी मंजिल से लेकर निचले तल तक लगाए गए पाइप की लंबाई आठ से नौ मीटर तक होगी। इसके लिए गियर मैकेनिज्म का प्रयोग किया गया है यानी शीशे की दिशा को खास तरीके से फिक्स किया गया है। ताकि हर साल रामनवमी पर रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों से तिलक हो सके। सूर्य तिलक प्रोजेक्ट पर सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानी डा. एसके पाणिग्रही और उनकी टीम ने कार्य किया है। इस प्रोजेक्ट में जहां सीबीआरआइ रुड़की ने तिलक और पाइपिंग के डिजाइन पर काम किया है, वहीं कंसल्टेशन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) बैंगलौर और फेब्रिकेशन आप्टिका बैंगलौर ने किया है। गर्भगृह में स्थापित श्रीराम की प्रतिमा का 17 अप्रैल को रामनवमी पर दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणों से तिलक होगा। दूसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की प्रतिमा तक पाइपिंग और आप्टो-मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणों को पहुंचाया जाएगा।अयोध्या में भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के मौके पर दोपहर 12:00 बजे सूर्य की किरण भगवान राम लला का तिलक करेंगी, इसको लेकर चल रहा प्रयोग पूर्ण रूप से सफल रहा। वैज्ञानिकों ने दर्पण के जरिये सूर्य की किरण को भगवान के मस्तक पर पहुंचा दिया है. सूर्य की किरणें लगभग चार मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाएंगी. ठीक रामनवमी के दिन दोपहर 12:00 बजे इसे भगवान श्री राम के मस्तिष्क पर तिलक करते हुए देखा जा सकेगा। पूर्वाभ्यास हुआ जो कि प्रयोग पूर्ण रूप से सफल रहा। वैज्ञानिकों ने सफल परीक्षण के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि भगवान राम लला का तिलक सूर्य देव इस बार ही रामनवमी के मौके पर करेंगे। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि मंदिर पूर्ण होने के बाद ही यह प्रयोग सफल हो सकेगा लेकिन वैज्ञानिकों ने सूर्य की किरण को भगवान के मस्तिष्क तक सफल रूप से पहुंचाया।