Latest Updates

देशप्रेम

“निशि  मुझे आज ही जाना होगा , जल्दी से

तैयारी करा दो ।” समर बोला।

       “कैसे ,अभी कल ही तो आये हो और आज फिर जाना है ?” निशि का चेहरा उदास हो गया।

   “यही तो हमारी वर्दी का कमाल है प्रिये,जब चाहे तब बुलावा आ जाता है ।आखिर जिम्मेदारी भी तो बड़ी है । देश की सेवा करने का मौका रोज रोज थोड़े ही मिलता है ,चलो अब हँस भी दो और मेरी तैयारी करा दो।” समर ने निशी का हाथ

पकड़ कर बड़े ही प्रेम से समझाया।

         समर बोल तो रहा था पर एक अन्तर्द्वन्द्व उसके अन्दर भी चल रहा था । छोटे बेटे विवान के साथ अभी एक दिन भी तो वह नहीं बिता पाया था की‌ उसे दुबारा ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए बुलावा आ गया । खैर सैनिकों के लिए तो हमेशा ही परिवार गौड़ ही रहा है और देश मुख्य।समर अपनी ड्यूटी पर चला गया ।

    रेडियो ,टीवी हर जगह एक ही खबर अधिक प्रसारित किया जा रहा था कि सीमा पर इतने सैनिक शहीद हो गए । निशि की धड़कन तेज़ हो गयी । समर की ड्यूटी भी बार्डर पर लगी हुई थी । निशि के मन में तरह-तरह के विचार आ जा रहे थे कभी सकारात्मक विचार तो कभी बहुत ही  नकारात्मक विचार भी । तभी छोटा बेटा रोने लगा वह छोटे बेटे को  चुप कराने के लिए गोद में लेकर टहलाने लगी ।समर की माँ व पिता जी तो बस‌ फोन पर लगे थे पर समर का फोन लग ही नहीं रहा था ।

    अचानक फोन की घंटी बज उठी तीनों ही एक ही साथ  फोन की ओर बढ़े । पापा कोआगे बढ़ते देख निशि थोड़ा पीछे हो गयी। उस समय फोन से जो ख़बर मिली उसने पापा जी के पैरों के नीचे से जमीन ही खींच ली । वे वहीं सोफे पर धम्म से बैठ गए । माँ को कुछ अनहोनी का अंदेशा सा हो रहा था पर उनका मन उसे मानने को तैयार नहीं था । अब निशि ने फोन उठाया उसके मन में दुनिया भर के गलत विचार आ रहे थे ।‌ फोन पर जो खबर मिली उसने उसका सब कुछ छीन लिया । कुछ समय तक तो उसे अपना जीवन ही व्यर्थ नजर आने लगा था लेकिन फिर बच्चों तथा बूढ़े मां-बाप का ख्याल आया और वह‌ माँ तथा पापा जी की ओर बढ़ चली‌ । इस वक्त उनको संभालना आपने से भी जरूरी था। उन्होंने तो अपने आँखों का तारा,इकलौता बेटा  खोया था । उसके लिए भी अब माँ और पिताजी ही तो उसके सब कुछ

थे ।

             सबकुछ निपट जाने के कुछ महीने के बाद निशि ने भी माँ और पिता जी की आज्ञा लेकर फ़ौज में भर्ती के लिए आवेदन कर दिया।

बच्चों को तो वैसे भी माँ ही अधिक सम्भालती थीं अतः उसे बच्चों की भी उतनी चिंता नहीं थी । आखिर उसे एक दिन फ़ौज में शामिल होने का अवसर मिल गया । निशि को फौज की वर्दी में देखकर उसके ससुर जी यानी पापा जी का सीना गर्व से फूल गया । उन्हें निशि में ही अब समर का प्रतिबिंब नजर आ रहा था । उसकी सास यानी मम्मी जी भी कम गौरवान्वित नहीं थी । निशि ने आज सबका सिर ऊँचा कर दिया था।

डॉ,सरला सिंह स्निग्धा

दिल्ली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *