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सम्पादकीय : अहम को त्यागकर ही एकता संभव है

            31 अक्टूबर सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । महान स्वतंत्रता  सेनानी भारत के पहले उप–प्रधानमंत्री एवं पहले गृहमंत्री सरदार पटेल जी की अनेक अन्य विशेषताओं में से जो सबसे प्रमुख रही कि उन्होंने भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अहम भूमिका निभाई ।  यही विशेष कारण भी है कि इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में समर्पित किया गया ।   गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी जी राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय एकता परेड में शामिल हुए और अपना संबोधन भी दिया ।

            भारत की विशेषता, अनेकता में एकता , विभिन्न धर्म–सम्प्रदाय–जाति–मत किंतु अनेकता में एक–खूबसूरत गुलदस्ते की भांति जिसमें विभिन्न फूल किन्तु सामूहिकता में एकता के दर्शन ।  मेरा फिर वही अनुरोध–मत है कि हम निश्चित ही एकता दिवस को मनाएं, उसके महत्व को जानें और अपने जीवन में–स्वभाव में–अपने व्यवहार में चरितार्थ करने का संकल्प लें ।  तब वास्तव में प्रत्येक दिवस एकता दिवस सा प्रतीत होने लगेगा ।  वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एकता की बात करें वो तभी संभव है, जिसको विख्यात साहित्यकार श्री अशोक वर्मा जी ने खूब लिखा हे–ऐ प्रभु तू अपनी दया का हाथ मेरे सिर पर रख, मैं आ गया हूं अहम की गर्दन मरोड़ कर’  ।  वास्तव में ‘अहम’ से अहंकार का ‘अ’ गया तब ‘हम’ सब एक हैं यही स्वर गूंजने लगेगा ।

            इसी दिन को अधिकांश लोगों ने बलिदान दिवस के रूप में स्वर्गीय इंदिरा गाँधी जी को भी स्मरण किया, उन्हें श्रधांजलि  दी ।  नारी सशक्तिकरण का साक्षात ज्वलंत उदाहरण थीं भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी । नमन!

            एक नवम्बर में प्रवेश करते हैं तब ‘करवा चैथ’ µ पति–पत्नी के प्यार–प्रेम–आत्म समर्पण–सौहार्द का प्रतीक त्यौहार जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति के स्वास्थ–लंबी आयु, सुख–वैभव आदि की मंगलकामनाओं हेतु माँ पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं । तत्पश्चात् 5 नवंबर को अहोई अष्टमी है जिसमें माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना हेतु व्रत–पूजा–अर्चना आदि करती हैं ।  दीपावली–गोवर्धन  यह सब नवंबर के प्रथम पखवाड़े में आ रहे हैं ।  दीपावली में पूरा देश दीपमय हो जाता है । आप सभी बो बधाई  । चहुं ओर प्रकाश ही प्रकाश, अंधकार  का नाश करते हैं । कामना यही कि चहुँ ओर प्रकाश हो, सबके जीवन में उजियारा हो, सब सुखी हों, किसी के जीवन में दुख रूपी अंधकार  न रहे ।  इसके लिए बौध दर्शन में एक बात प्रमुखता से कही गई ‘अप्प दीपो भव’ – आप स्वयं दीप बनिये, स्वयं प्रकाश बनें । आप प्रकाशवान होंगे तब अन्य लोगों को भी प्रकाशित कर सकेंगे, उनके लिए प्रेरणा बन सकेंगे ।

            वर्तमान में भारत सबसे अधिक  युवाओं का देश है, अर्थात उर्जा–एनर्जी–सक्षमता उपलब्ध  है । दिशा देते हैं तो दशा बदलने लगती है । खेलों की बात करें तो सभी क्षेत्रो  में — क्या एशियाई खेल, क्या ओलम्पिक अथवा वर्तमान में भारत की मेजबानी में चल रहे क्रिकेट विश्व कप जिसमें आज के दिन तक (31 अक्टूबर) भारतीय टीम ने 6 मैच खेले और सभी में जीत दर्ज कर ‘टीम वर्क’ का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया ।  खेल है तो हमेशा स्थिति अपने अनुरूप नहीं  होती लेकिन इंग्लैंड के विरूद्ध विपरीत परिस्थितियों को एक साझा टीम का प्रयास कैसे विजयी बनाता है, यह दिखलाया ।  आरम्भ अच्छा है तो परिणाम भी अच्छा ही होगा मेरा यही मानना है, यही विश्वास है ।

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