होली खेलते हैं
चलो हम होली संग खेलते है
चलो हम होली रंग खेलते है
बसंत ऋतु में फागुन माह में
चंग की थाप पर खेलते है
इंद्रधनुषी रंग बरंगी गुल फूल खिले
भंवरा गीत गुनगुनाते होली खेलते है
लहंगा-चोली भीगी रंगा सारा बदन
मुखड़े पर लाली होली खेलते हैं
नाचें गीत फाग गाये संग सखियां
अखियां चमके काजल होली खेलते हैं
होलिका जली मची खलबली बचा प्रह्लाद
सत्य की जीत होली खेलते हैं
ह़ोली के हुड़दंग में रंग गुलाल
ढोली बजाये ढोल होली खेलते हैं
राधा संग कृष्ण खेले गोपियां गोरी
पिया संग मन होली खेलते हैं
बाग़ों में झूले झूमें संग सहेलियां
घर आंगन रंगोली होली खेलते है
मोर नाचे संग मोरनी पंख फेलाये
बोले बोल मधुर होली खेलते हैं
कलियां खिली फूल बनी फागुन फूहार
तितलियां करती तकरार होली खेलते हैं
बुलबुल बहके कोयल कूकी संग ‘कागा’
रंग भेद नहीं होली खेलते हैं
— तरूण राय कागा (पूर्व विधायक)