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कमी अपनी परवरिश में

मालती ने आज पूरा घर फिर सर पर उठा रखा था। ससुर जी के खत्म हो जाने के पश्चात यह अब आम बात हो गई थी। मालती की सास दयावती खून का घूंट भरकर रह जाती। मालती अपनी छोटी बहन को पढ़ाई करने के लिए अपने साथ रहना चाहती थी लेकिन घर पर जगह उपलब्ध न होने के कारण उसकी मंशा पर पानी फिर रहा था।

घर पर दो ही कमरे थे इसमें एक में तो आप गुजारा करती थी। दूसरा उसकी साथ दयावती का था। मालती पूरी तरह से प्रयास कर रही थी अपनी सास को घर से निकलने का। रोज तरह-तरह के क्लेश मचाती। दयावती का हृदय अपनी बहू की बातों को सुनकर बुरी तरह से छलनी हो जाता। खून के आंसू आंखों में ही छुपा कर रख लेती। किससे मन की कहती। पति के गुजर जाने के बाद ऐसा असहाय सी हो गई थी। अपने पति के सामने तो कितना अच्छी तरह से बन‌ संवर कर रहा करती थी। बहू के ताना देने की आदतों के कारण के उन्होंने तैयार होना ही छोड़ दिया।

आज मालती सुबह से ही पूरी तैयारी में थी अपनी सास दयावती को वृद्धाश्रम भेजने के लिए। मालती का पति अपनी माँ से जाकर कहता है,”मम्मी अब गुजारा नहीं होता। रोज-रोज की लड़ाई झगड़ों से क्या फायदा? अब तुम अपना इंतजाम कर ही लो। मैं कल तुम्हें वृद्धाश्रम छोड आऊंगा। वैसे हम लोग मिलने आते जाते रहा करेंगे।”

बेटे की बात सुनकर दयावती के पैरों के नीचे से ज़मीन ही निकल गई। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका अपना खून उनसे इस तरह से बात कर सकता है। बहू के तानों से तो उनका हृदय पहले से ही छलनी था लेकिन बेटे की बात सुनकर पूरी तरह से उनका ह्रदय फट गया।

आंखों के बहते आंसुओं को पोंछ कर वह मजबूती के साथ खड़ी हुई। और अपने बहु बेटे से बोली,”इंतजाम करने की आवश्यकता मुझे नहीं बल्कि तुम्हें है ‌। यह घर मेरे पति ने अपनी गाड़ी कमाई से बनाया है और इस पर मेरा पूरा अधिकार है। वैसे तो मैंने अभी तुम्हारे नाम किया भी नहीं कुछ भी लेकिन अगर कर भी दिया होता तब भी तुम मुझे निकल नहीं सकते। सरकार का नियम है बड़े-बूढ़े अपने बच्चों से अपनी दी हुई संपत्ति वापस ले सकते हैं।

मैं तो ख्वामखाह बहू को दोष देती रही। असली कमी तो मेरे खून में, मेरी परवरिश में रही। वरना कल की आई बहू में कहां इतनी मजाल जो अपने सास ससुर को वृद्ध आश्रम भिजवा दे। जब तक अपने बेटे में कमी ना हो कोई बहू अपने सास ससुर का अपमान नहीं कर सकती।”

ऐसा कहकर वह मजबूती से सोफे पर बैठ गई। मालती और उसके पति के एकदम होश फाख़्ता हो गये।

प्राची अग्रवाल

खुर्जा उत्तर प्रदेश

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