सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अक्सर दिलचस्प मामले आते हैं। इसी कड़ी में एक और वाकया सामने आया। एक शख्स ने विप्रो के मानद चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Azim Hasham Premji) और उनके साथियों के खिलाफ 70 से अधिक मामले दर्ज कराए थे। बाद में शख्स को अहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उस व्यक्ति ने मामले वापस लेने का फैसला किया। अब गेंद अजीम प्रेमजी के पाले में थी। इसके बाद प्रेमजी ने दरियादिली दिखाते हुए उसे माफ कर दिया। उनके इस दृष्टिकोण की सुप्रीम कोर्ट ने भी तारीफ की।
जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा, ‘हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि अजीम प्रेमजी ने इस मामले में रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया और आर सुब्रमण्यम (R Subramanian) के पिछले आचरण को माफ करने के लिए सहमत हुए हैं।’ पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले से पता चलता है कि जब दोनों पक्ष वास्तविकता को समझने के लिए तैयार होते हैं तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि 70 से अधिक मुकदमों को समाप्त किया जाएगा क्योंकि आर सुब्रमण्यम अपने पिछले आचरण के लिए पश्चाताप करना चाहते हैं और अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अजीम प्रेमजी को आर सुब्रमण्यम के आचरण के बारे में अधिक दयालु दृष्टिकोण अपनाने और सभी मुद्दों को बंद करने के लिए राजी कराया।
आर सुब्रमण्यम ने प्रेमजी और उनके समूह के खिलाफ अदालतों के समक्ष लंबित विभिन्न कार्यवाही को वापस लेने का आश्वासन दिया है। सुब्रमण्यम ने सुनवाई की आखिरी तारीख को दिए गए अपने आश्वासन के अनुसार अदालतों के समक्ष लंबित उनके द्वारा दायर जनहित याचिकाओं के विवरण के साथ एक हलफनामा दायर किया है। प्रेमजी ने पिछले साल कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ओर से उनके खिलाफ जारी समन को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।