कविता और कहानी
जय हिंद जय भारत
कविता मल्होत्रा माँ शारदे को नमन और भारत माता का वँदन करते हुए, आध्यात्मिक समिधा की आहुति के साथ, निस्वार्थ प्रेम का आचमन, हर रूह के जीवन यज्ञ को सफल बनाए, इसी शुभकामना के साथ,इस लेख का आरँभ करती हूँ। शीत ऋतु की विदाई के साथ बसँत के आगमन की दस्तक समूचे वातावरण में नवसृजन…
जाने से पहले
जाने से पहले करना ऐसा, जनजीवन तेरा नमन करें। कुछ ऐसा कर जाना साथी, दुनिया हरदम गुणगान करे। राम और कृष्ण की ये धरती, निशि दिन तुझको नमन करे। आदर्शों पर तेरे नित चलकर, अपने देश का गौरव वहन करें। जो मान और सम्मान बढाये , कर्मों का ऐसा ही चलन रहे। उठा रहे सदा…
लघुकथा “षड्यंत्र”
जगदीश बाबू अपनी पत्नी सुधा के साथ स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर तेजी से हड़बड़ाते हुए पहुँचे।अभी सात बजकर पच्चीस हो रहा था।7.40 में उनकी गाड़ी थी।वो दोनों प्लेटफार्म पर बने एक बेंच पर स्थान देखकर बैठ गए।उसी समय रेलवे से सूचना प्रसारित हुई “पूरब को जाने वाली गाड़ी विलम्ब से चल रही है।अभी…
जे.एन.यू के परिसर में शोला किसने भड़काया?
जे. एन. यू.के परिसर में शोला किसने भड़काया?कलम-किताब के बदले में डंडा किसने चलबाया?इस गंभीर समस्या के तह तक राष्ट्र को जाना है,ऐसे असामाजिक तत्वों को नेस्तनाबूद कर देना है.भारत माता के दामन पर दाग लगाने वाला कौन?हिंसा फैलाने वालों पर जननेता फिर क्यों हैं मौन?जाति,धर्म,राजनीति से ऊपर उठकर गुरुजन सोचें,अपनी प्रखर प्रज्ञा से युवजन…
इस नववर्ष पर, देश के चप्पे-चप्पे में उजाला हो तम का सँहार करता हर दिल,निर्भय शिवाला हो
2020 सयानेपन की उम्र में कदम बढ़ाती हर उम्र की वो गणना है जहाँ पहुँच कर टीन एेज समाप्त हो जाती है।इस कमसिन उम्र में पाँव न फिसले,इसीलिए हर धार्मिक इँसान अपनी अपनी सामर्थ्यानुसार विद्याध्ययन के साथ साथ स्वाध्याय की ओर अग्रसर होता है और अपने चिंतन से अपने जीवन के उद्देश्य की खोज पर…
अजूबा प्रजातंत्र है,कुहरन भरी आजादी है
ठोकर खाने पर भी संभलता नहीं बेईमान, कुछ दौलत के लिए वह बेच देता है ईमान. बेइज्जती का उसको कुछ भी परवाह नहीं, धन-पद के पीछे-पीछे भागता है बेलगाम. समाज में ईमानदार आदमी का अभाव है, शुभ सलाह मानने को कोई नहीं तैयार है. गरीबी व बेरोजगारी समाज में बरकरार है. खुलेआमअट्टहास यहां करता व्यभिचार…
अटल जी को समर्पित कविता
निकल पड़ा वो शिखर यात्रा पर पथरीले पथ पर चलते-चलते थका नहीं, न हारा ही न वेवश ही, न बेचारा ही पांव बढाते पल-पल बढते अंधियारों को पार किया, यू मचलते निकल पड़ा———–+—+ सारा गगन समेटा मन में सारे पीड़ाओं को तन में ब्रह्माण्ड का चमकता तारा हंसता रहा गलियारों में, बैठे और टहलते…
मैयत के मेरे फूल खिल उठे
मैयत के मेरे फूल खिल उठे हैं अब थोड़ा पहले आते आधा जल चुके हैं अब तुमने कहा था कि जा रहे हो अपने रास्ते तो हम भी अपने रास्ते निकल चुके हैं अब कई लम्हे पत्थरो से बात करता रहा मगर कई पत्थर पिघल चुके हैं अब आज फिर मेरी उनसे बात हुई लगा…
नववर्ष की बधाई
v नये नये उमंग हैं नये नये तरंग नववर्ष की नवकिरण में हर तरफ लाये उमंग ही उमंग। अम्बर से आई किरण लेकर प्रकाश की लालिमा पीछे छुट गया काली रात और उसकी काली कलिमा। बीत गये एक वर्ष खट्टे मीठे अनुभव लाएगी आशा का संदेश ऐसा सोचे हर मानव। बनी रहे आचार विचार ऐसा…