युवा लेखिका एवं कवयित्री सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक पटल पर आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लाइव कार्यक्रम का सफल आयोजन सम्पन्न हुआ I आज की गोष्ठी में देश के कोने-कोने से कवियों ने प्रतिभाग कर कविता/गीत प्रस्तुत किया एवं महिलाओं के सम्मान में अपने विचार व्यक्त किए। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 का विषय है एक स्थाई और सामान कल के लिए समाज में लैंगिक समानता जरूरी, और आज इस पटल पर कवियों ने बखूबी इसको अपने विचारों में समाहित किया। इस कार्यक्रम का संयोजन सरिता त्रिपाठी जी ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश से जुड़कर किया, संचालन विशु तिवारी जी ने ग्वालियर, मध्य प्रदेश से किया। की दोनों रचनाएं कुछ इस प्रकार रहीं
डॉ प्रवीण अंशुमान जी दिल्ली जुडे और आज के कार्यक्रम को साकार कर दिया, उन्होंने ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से समाज को खूबसूरत संदेश दिया और दर्शकों के खूब वाह बटोरे I उनकी दोनों रचनाएं कुछ इस प्रकार रहीक्या मैं लड़की हूँ बस इतना ही पर्याप्त है?हे स्त्री! तू मत होना राजी
आलोक मिश्र ‘दीपक’ जी शाहजहांपुर से जुड़कर बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति दी, उनकी रचना इस प्रकार रहीं नारी के हर एक रूप की महिमा सब गाते हैं, लोकहितार्थ हरि और शिव खुद नारी हो जाते हैं।।
डॉ कमलेश शर्मा जी हरिद्वार से जुड़े और अपनी प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया I उनकी पंक्तियाँ इस प्रकार रहीं जाग उठी है आज की नारी नहीं रही वह दीन-हीन निर्वासित अब अबला बेचारी।
तितलियों की जैसी मडराती फिरें इधर-उधर, फूल की तरह खिलखिलाती चली बेटियां
सुनील चौधरी ‘दीद’ लखनवी जी दिल्ली से जुड़े और अपने सुरीले कण्ठ एवं उत्कृष्ट प्रस्तुति से सभी को एकाग्र कर दिया I उनकी काव्य प्रस्तुति कुछ इस प्रकार रहीरहबर भी वो बनें दिलबर भी वो ही हैं,
वो जान भी मेरी जां भी वही तो लें ॥
दर उसका ही बदले घर उसका ही छूटे,
जो राह बन पड़ी उसी राह चली वो ॥
अंत में सरिता त्रिपाठी जी ने स्वरचित रचना जिधर देखो उधर इसी की चर्चा है नारी शक्ति अश्व शक्ति का हिस्सा है इस गोष्ठी का आयोजन बहुत ही सफल रहा दर्शकों ने लगातार अपनी प्रतिक्रिया देकर लोगों का उत्साहवर्धन किया। सरिता त्रिपाठी जी ने भविष्य मे ऐसे आयोजन होते रहने का आश्वासन देकर सभी कवियों एवं दर्शकों का आभार व्यक्त किया। आप सभी पटल से जुड़कर काव्यपाठ का आनंद ले एवं प्रतिभागी बने।