हरियाणा में विकास परियोजनाओं के लिए दी गई जमीन के विवाद खत्म करने की दिशा में सरकार ने बड़ी पहल की है। सार्वजनिक कार्य और विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को दी बाप-दादा (पुरखों) की पुरानी जमीनों पर अब नई पीढ़ी के लोगों का कोई हक नहीं होगा।
हरियाणा सरकार ने कानून बनाकर प्रविधान किया है कि अब किसी भी ऐसी जमीन पर मालिक 90 दिनों के भीतर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। इससे अधिक देरी होने पर किसी भी व्यक्ति की संबंधित जमीन पर न तो दावेदारी को स्वीकार किया जाएगा और न ही उसकी बात सुनी जाएगी।
हरियाणा सरकार ने लोक उपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिशेध विधेयक 2022 बनाकर जमीनों के कानूनी विवाद निपटाने की पहल की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन में कहा कि इससे पुराने विवाद हल करने में मदद मिलेगी।
मनोहर लाल ने सदन में बताया कि 50 साल पहले लोग अपनी जमीन सरकार को विकास योजनाओं के लिए दान अथवा उपहार में दे दिया करते थे। उस समय जमीन काफी सस्ती होती थी और सरकार को दी जाने वाली जमीन का सारा काम मौखिक रूप से होता था। उस समय दान या उपहार में जमीन देने वालों की नई पीढ़ियां कोर्ट में चली जाती हैं और दावा करते हैं कि यह जमीन हमारी है।
मनोहर लाल ने कहा कि जमीन के अधिक रेट होने तथा लालच के वशीभूत ऐसा किया जाता है। यहां तक कि दावेदारों द्वारा ऐसी जमीन पर बनी सार्वजनिक उपयोग की संपतियों को खत्म करने की लड़ाई तक लड़ी जाती है। ऐसे मामलों से राहत के लिए ही हरियाणा सरकार लोक उपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिशेध विधेयक 2022 लेकर आई है।
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि आज हम सरकारी परियोजना के लिए जब भी कोई जमीन लेते हैं तो लिखित में उस जमीन को विभाग के नाम करते हैं, ताकि मुकदमेबाजी से राहत मिल सके। विवाद के सभी मामले 20, 30 और 50 साल पुराने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि इस विधेयक में यह प्रविधान किया गया है कि 90 दिनों के भीतर कोई मालिक अपील दायर कर सकता है। नए कानून से पुराने विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी।